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सोमवार, 3 जून 2019

जून 03, 2019

कॉलराडो की UFO की घटनाएं

                                                        कॉलराडो का इलाका हमेशा से ही एलियंस और UFO से जुडी घटनाओ का केन्द्र रहा है। आज तक हजारो लोगो ने यहाँ आसमान में UFO देखे जाने का दावा किया है। सालो से लोग यहाँ अजीब घटनाओ का सामना कर रहे है। 7 सितम्बर 1967 को एक ऐसी ही अजीब घटना यहाँ सामने आई थी। दरसल यहाँ एक घोडा लापता हुवा था और अचानक 7 सितम्बर को उसकी लाश मिली। घोड़े की मौत का कारण जानने के लिए जब उसका शव परीक्षण किया गया तो सब हक्के-बक्के रह गए। क्युँ की उसके शरीर में खुन की एक बून्द भी नहीं थी। आश्चर्य की बात तो ये थी की उस घोड़े के शरीर पर कोई बड़ा घाव नहीं था। की जिससे सारा खून बहा हो और ना ही वहा पर कोई खुन के निशान मिले थे जहा उसकी लाश मिली थी। तो आखिर उस घोड़े के शरीर में से खुन गायब कहा हुवा ? इस बात का अंत तक कोई जवाब नहीं मिला। इस घटना से जुडी और एक घटना, जिस दिन यह घोडा लापता हुवा था, उसी दिन एक और शाहमुर्ग़ भी लापता हुवा था। लेकिन शाहमुर्ग़ का कोई सुराग नहीं मिला। आप को क़्या लगता है की इन जानवरो के साथ आखिर क्या हुवा होगा ? कही ऐसा तो नहीं की ये जानवर एलियंस के किसी प्रयोग का शिकार थे ?
                                                       कॉलराडो में स्थित एक पार्क जिसका नाम है 'Colorado Gators Reptile Park' । यहाँ पर मगरमच्छ जैसे जीवो की देखभाल की जाती है। इस संस्था में काम करने वाले कई कर्मचारियों ने रात के आसमान में अजीब चीजे देखने का दावा किया है। इस संस्था में काम करने वाले 'Joe' नामक कर्मचारीने बताया की एक दफा जब रात को वोह अपनी कार से घर जा रहा था। तो उसने देखा की हवा में कुछ फिट ऊपर तीन चमकदार रोशनियाँ उसकी तरफ सामने से तेजीसे से बढ़ रही है। जैसे-जैसे वह नजदीक आ रही थी, वह बड़ी होती जा रही थी। उनकी रफ़्तार कम नहीं हो रही थी। Joe को लगा की अब ये रोशनियाँ उसकी कार से टकराने वाली है। उसे डर लग रहा था। लेकिन वोह रोशनियाँ कार के बेहद नजदीक आकर अचानक मुड़कर दूसरी दिशा में चली गई। इसी संस्था में काम करने वाले Kenny नामक कर्मचारी ने बताया की उसने कई बार आसमान में अजीब तरह का बर्ताव करने वाली रोशनियाँ देखि है। इन कर्मचारियों के साथ- साथ  संस्था के मैनेजर Joy Young भी इन विचित्र घटनाओ के साक्षी रहे है। उन्होंने बताया की एक बार उन्होंने तीन रोशनियों को पहाड़ के ऊपर लगभग 21000 Km/Per Hour की हैरतंगेज रफ़्तार से जाते हुए देखा था। ये रफ़्तार साफ करती  की वोह तीन रोशनियाँ कोई UFO ही था।
                                                      कॉलराडो में इस तरह की घटनाएं इतनी बड़ी तादाद में होती है की एक महिला ने इन घटनाओ को लोग आराम से देख सके इस लिए एक UFO Watch Tower बना डाला। 'जुडी मेसोलाइन' नामक महिला ने यह टॉवर कॉलराडो के 'सँन लुईस व्हली' में बनाया है। इस टॉवर पर कई लोग आते है और यहाँ से कई लोगोने अदभुत नज़ारे देखे है। एक रात तो लगभग जब साठ लोग यहाँ मौजूद थे तो उन्होंने आसमान में दो सिलिंडर आकर के UFO को देखा।   से आप अंदाजा लगा सकते है की यह घटनाएं इस इलाके कितनी आम है।  लेकिन आज तक इसपर सरकार की और से कोई बयान जारी नहीं किया गया। और नाही सेना ने कोई करवाई की है। सरकार जैसे जान बूझकर इसे अनदेखा कर रही है। 
        

शनिवार, 25 मई 2019

मई 25, 2019

पिरॅमिड्स- एक रहश्यमयी संरचना

                                                   पिरॅमिड्स एक ऐसी रहश्यमयी संरचना है जो आज भी वैज्ञानिको के लिए एक पहेली बानी हुई है। इजिप्त  के पिरॅमिड्स दुनिया भर में मशहूर है। कहा जाता है की इजिप्त  के राजाओंने अपनी कब्र के तौर पर इनका निर्माण करवाया। और जब राजा की मृत्यु हो जाती थी तो उसके शव की ममी बनाके इनके अंदर रख दी जाती थी। लेकिन आज जब हम इन पिरॅमिड्स को गौर से देखते है तो मन में ये सवाल खड़ा होता है, क्या सच में इन्हे सिर्फ कब्र के तौर पर बनाया गया था ? क्युँ की अगर हम उदहारण के तौर पर खुफु के पिरॅमिड को ले, तो उसे बनाने  के लिए 20 लाख से भी ज्यादा विशाल चट्टानों को दूर से यहाँ लाया गया। पुरे 20 साल मेहनत करके इस विशालकाय संरचना  निर्माण किया गया और वोह भी सिर्फ कब्र के लिए ! मुझे ये बात बिलकुल भी हजम नहीं हुई। मुझे ये सही नहीं लगा।  यहाँ कुछ तो गड़बड़ है। शायद आप लोग कहेंगे की पिरॅमिड अंदर ममी मिली है। इससे साफ होता है की यह कब्र के लिए ही बनाए गए थे। लेकिन क्या ये नहीं हो सकता की इसे किसी और ने, किसी और मकसद से बनाया होगा और उनके जाने के बाद इजिप्त  के राजाओंने अपना हक़ इन पिरॅमिड्स पर जताने के लिए इनकी दीवारों पर जानबूझकर झूठ को गढ़ा गया हो। क्युँ  की इसकी संरचना बेहद ही अदभुत है। और इसका निर्माण सिर्फ इजिप्त  में ही नहीं अमरीका महाद्वीप  की 'माया' सभ्यता के लोगो ने भी किया था।   सभ्यताए एक दूसरे से कभी नहीं मिली, क्युँ  की ये एक दूसरे से हजारो किलोमीटर के फसलों में थी। इनके बिच एक विशाल महासागर था। और सबसे अहम बात इन दोनों को एक दूसरे के वजूद की कोई जानकारी भी नहीं थी। फिर भी दोनों ने ही पिरॅमिड्स बनवाए। आखिर इन दोनों सभ्यताओं के एक ही समय पर इस संरचना की संकल्पना कैसे जन्मी ?
                                                   एक और बड़ा राज है, जिसने तो सारे वैज्ञानिको को हैरत में दाल रखा है। दोनों भी सभ्यताओं के 'ओरायन'  तारकासमुह की स्थिति में ही पिरॅमिड्स कैसे बने ? आखिर वोह क्या शक्ति थी जो इन दोनों सभ्यताओं के लोगो के दिमाग को जोड़े हुए थी ? क्युँ की इतने सारे इत्तेफ़ाक़ एक साथ कभी नहीं हो सकते। जरूर इसके पीछे किसी और का हाथ था। मेरा यह मानना है की इस योजना के पीछे एलियंस का हाथ था। और वह एलियंस जिस ग्रह से आये थे वह ओरायन तारकासमुह में है। इस लिए वोह अपनी निशानी छोड़ गए। जो एलियंस इजिप्त  में उतरे थे और जो माया लोगो से मिले वोह दोनों भी ओरायन तारकासमुह से ए थे। उनका मकसद था इंसानो की विकास में मदत करना और आने वाली पीढ़ियों के विकास के लिए ज्ञान देना। इजिप्त  के एक देवता जिनका नाम 'ओसायरस' था।  कहा जाता है वोह ओरायन से आये थे और अपना काम ख़त्म करके वोह वापस चले गए। ये देवता और कोई नहीं एलियंस ही थे। पिरॅमिड्स की शक्ल में उन देवताओ ने हमारे लिए बड़े सबूत छोड़े है। जिससे हम जान सके की वोह कहासे आये थे।
                                             इजिप्त  और माया ये दोनों सभ्यताए अलग-अलग थी। इनके देवता, पूजा करने के विधि, उनकी वेशभूषा, धर्म, विधिनियम सब कुछ अलग था। मगर दोनों में एक बात समान थी और वोह थी 'पिरॅमिड्स' . और आश्चर्य की बात  ये है की दोनों सभ्यताओं में 'ओरायन' को लेकर खासा आकर्षण था। इस कारण दोनों सभ्यताओं महान पिरॅमिड्स इसी तारकासमुह की रचना में बनाए गए। लेकिन सवाल ये उठता है की इन दोनों के आकर्षण के केंद्रबिंदु में 'ओरायन' ही क्युँ ? बाकि तारे क्युँ नहीं थे ? इसका एक ही अर्थ है की दोनों को भी 'ओरायन' के देवताओ (एलियंस) ने ही ज्ञान दिया था। और उन्होंने अपने  सबूत को पिरॅमिडस  के रूप में निर्माण करवाया। 

मंगलवार, 21 मई 2019

मई 21, 2019

एलियंस हमारे दोस्त है या दुश्मन ?

                                                                         एलियंस के जानकारों में इस बात को लेकर विवाद है की एलियंस हमारे दोस्त है या दुश्मन ? कुछ लोग यह मानते है की एलियंस ही हमारे विकास के रचयिता है। उन्होंने ही मानव को आगे बढ़ाया है और हमारे इतिहास में वोह हमारे साथ रह चुके है। ये वोह वर्ग है जो एलियंस के सकारात्मक रूप को सामने रखते हुए उनका समर्थन करता है। लेकिन एक दूसरा वर्ग भी है जो इनके विचारोसे सहमत नहीं है। कई लोगो का ये मानना है की एलियंस का वजूद हमारे लिए खतरा है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ.स्टीफन हॉप्किंग ने भी इस बात पर जोर दिया था की एलियंस हम पर हावी हो सकते है। जो लोग एलियंस का धरतीपर आना एक खतरा मानते है, वोह लोग वैज्ञानिको द्वारा एलियंस की खोज को लेकर जो अभियान चलाये जा रहे है उनपर भी एतराज जताते है।  ये कुछ इस तरह है की किसी अनजान जंगल में खड़े होकर चिल्लाना। हो सकता है आपकी आवाज कोई इंसान सुने और ये भी हो सकता है की आपकी आवाज कोई जंगली शेर सुन ले। क्युँ की आपको नहीं पता की उस जंगल में कौन है और कहा है ? इसी तरह हमारी आवाज ब्रम्हांड चिल्लाने ने का काम कर रही है। इसे सुनाने वाले एलियंस दोस्ती करने भी आ सकते है और हमारे ग्रह पर कब्ज़ा करने भी। चलिए मै आपको इन दोनों मुद्दोंको विस्तार में समझाता हु।
                                                                    बीसवीं सदी में 'एरिख वॉन डेनिकेन' नामक व्यक्ति ने दुनिया भर में घूमकर इस बात के सबूत खोज निकाले की किस तरह हमारे अतीत में एलियंस आए थे। किस तरह उन्होंने हमारे विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और हम आज जो भी तकनीकी विकास के पायदान पर खड़े है उसका श्रेय उन एलियंस को ही जाता है। एरिख वॉन डेनिकेन इसपर "चैरियट्स ऑफ़ गॉड" नामक किताब लिखी, जो पूरी दुनिया में मशहूर हुई। इसके बाद तो जैसे धूम ही मच गई। और भी कई लेखकोंने इस विषय को आगे बढ़ाया। समाज में एक वर्ग तैयार हुवा जो इस विचारधारा का समर्थक बना। आज भी इस विचारधारा को मानाने वालो की तादाद बढाती ही जा रही है। क्युँ की कई नए सबूत और घटनाएं सामने आई जिन्होंने इस दृष्टिकोण की बुनियाद को मजबुती दी। लेकिन आज इस विचारधारा में कुछ गड़बड़ियाँ निर्माण हुई है। इस विचारधारा के समर्थक हर प्राचीन निर्माण, संशोधन और किसी बड़े कार्य को सीधा एलियंस से जोड़ रहे है। ये दावा कर रहे है की इजिप्त के पिरॅमिड जैसी दुनिया की सभी प्राचीन संरचनाओं का निर्माण एलियंस ने ही किया था। ये कहकर ये सीधे-सीधे इंसानो के सामर्थ का अपमान कर रहे है और दुनिया भर के पुरातत्वशास्त्रियोके निशाने पर आ गए है। इस विचारधारा के समर्थकों को हर प्राचीन चित्र, कथा और शिल्प में एलियंस दिखाई देते है। इस कारन अब लोग इनका मज़ाक उड़ा रहे है। ये हास्य के पात्र बनते दिखाई दे रहे है। इस कारण अब इस विचारधारा के समर्थकों को  समजना होगा की जब तक उनके पास उनके उनके दावे से जुड़ा कोई ठोस प्रमाण न हो तब तक उसपर अपनी राय लादना योग्य नहीं।     
                                                             पिछले सत्तर सालो में दुनिया भर में UFO दिखाई देने की अनगिनत घटनाएं सामने आई है। कई सबूत भी मिले है। जैसे कुछ तस्वीरें, कुछ विडिओस, तो कभी कुछ विचित्र निशान। आज भी ये घटनाएं जारी है। लेकिन इन अग्यात महमानो का आना हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है। मानना है कुछ लोगो का। ये वोह लोग है जो एलियंस को खरता मानते है। क्युँ की हम उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते। वोह कौन है ? कहाँसे आए है ? उनका यहाँ आने का मकसद क्या है ? ऐसे कई सवाल है जिनके हमे अभी भी जवाब नहीं पता। ऐसे में बिना कुछ जाने ये दावा करना की वोह हमारे दोस्त है, क्या ये सही होगा ?आज तक दुनिया भर में कई जगओ पर UFO देखे गए। लेकिन किसी भी UFO ने इंसानो के साथ सम्पर्क करके कोई औपचारिक मुलाकात नहीं की, की जिसमे उन्होंने अपना परिचय दिया हो या हमारा परिचय जाना हो। जिन्हे दोस्ती करनी होती है वोह सामने आकर हाथ बढ़ाते है, जान-पहचान बढ़ाते है। इस तरह चोरी-छुपे घुसबैठ नहीं करते। और एक बात पिछले कई सालो में एलियंस द्वार अगवाह किये जाने की हजारो वारदाते सामने आई है। जिनमे लोगो को अगवाह करके उनपर प्रयोग किये गए। क्या ये दोस्ती की निशानी है ? इन घटनाओ पर अमरीका की ख़ुफ़िया एजेंसियां CIA और FBI नजर बनाए हुए है। ये बात साफ है मामला गंभीर है। जीन  लोगोने एलियंस द्वारा अगवाह किए जाने के दावे किये, जब उन्हें सम्मोहित करके उनकी अपहरण की याद्दाश को फिर से उजागर किया गया। तब उन लोगोने जो बया किया वोह रौंगटे खड़े कर देने वाला अनुभव था। उन लोगोको भयानक यातनाओ से गुजरना पड़ा था। कई घटनाओ में तो पीड़ित को बार-बार अगवाह किया गया था। उन लोगो की मानसिक अवस्ता तो भयावह हो चुकी है। कुछ घटनाओ में तो अगवाह किये गए लोग दुबारा कभी लौट कर नहीं आए। क्या अभी भी हम यही कहेंगे की एलियंस हमारे दोस्त है ?
                                                            शायद आप इस कश्मकश में पड़ गए होंगे की एलियंस  दोस्त समझे या दुश्मन ? मगर इस सवाल दोनों भी जवाब सही हो सकते है। आप कहेंगे की ये कैसे मुमकिन है ? चलिए मै आपकी उलझन सुलझाता हु। देखिए हमे ये तो पता है की सभी एलियंस किसी दूसरे ग्रह से आते है। लेकिन ये जरुरी तो नहीं की आने। वाले सभी एक ही ग्रह से आते हो।  मतलब जो लोग अच्छे एलियंस  में बाते करते है, वोह सच में अच्छे हो और जो बुरे एलियंस के बारे में बोलते है वोह सच में बुरे हो। क्युँ की दोनों अलग-अलग ग्रह के निवासी है। पृथ्वीपर दिखाई देने वाले सारे UFO का आकार और संरचना एक जैसी बिलकुल नहीं होती। यानी एक बात तो साफ है की वोह सब एक ही ग्रह के निवसी नहीं है। ये कुछ इस तरह है जैसे इजिप्त के पिरॅमिड देखने दुनिया के अलग-अलग देशो से लोग आते है। उसी तरह जब ये खबर एलियंस में फैली होंगी की हमारी पृथ्वीपर जीवन है तो वोह हमारे बारे में जानने की लालसा में धरतीपर एते होंगे। लेकिन जब तक हम उनसे सम्पर्क स्थापित नहीं कर लेते तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। और हम लाख चाहे, लेकिन जब तक वोह खुद हमसे मिलना नहीं चाहेंगे तब तक हम उनके बारे में कुछ भी नहीं जान सकते। 

सोमवार, 20 मई 2019

मई 20, 2019

क्या हम एलियंस है ? भाग-4, विषय- प्रजनन

                                                                   मैंने इस बारे में अपने पहले लेख में सूचित किया था। इस कारन इस विषय पर और ज्यादा स्पष्टीकरण देने की जरुरत नहीं है।  लेकिन कुछ मुद्दे है जो मै पिछेल लेख में नहीं रख पाया तो उन्हें इस लेख में स्पष्ट करने की कोशीश करूँगा। प्रजनन भी एक अहम मुद्दा है जो इंसानो को दूसरे जानवरो से अलग करता है। धरतीके सभी जीव प्रजनन द्वारा अपना वंश आगे बढ़ाते है। इस चक्र इंसान भी नहीं छूटा है। लेकिन धरतीपर रहने वाले सभी जीवों का प्रजनन का समय तय होता है। लेकिन इंसानो पर ऐसी कोई समय सीमा लागु नहीं होती। साल के खास समय पर जीवो में संभोग की प्रवृत्ति जागृत होती है और बादमे प्रजनन। लेकिन इंसानो के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। हम अगर देखे तो बाकि जीवो का प्रजनन का समय ज्यादा तर बरसात के दिनों में होता है। लेकिन इंसानो के बच्चे तो साल के किसी भी मौसम में जन्म लेते है।  साल के कुछ खास दिनोमे ही बाकि जीव संभोग करते दिखाई देते है।  लेकिन इंसान तो कभी भी संभोग करते है। साथ इंसान के संभोग का उद्देश्य आनंद लेना होता हैइंसान जब चाहे तब संभोग करता है।  जबकि बाकीके जानवरो में संभोग का उद्देश्य अपने वंश को आगे बढ़ाना, प्रजनन करना होता है। और बाकि के जीव साल के खास समय पर ही संभोग करते है। ये दो बबाते इंसान और बाकि जीवो के मूलभूत स्वभाव में जो अंतर है उसे साफ कराती है।
                                                                धरती के बाकि जीवो की संताने जन्मने बाद कुदरत के हालत में जीने के काबिल होती है। उदहारण के तौर पर हम हिरण के बछड़े को लेते है। अगर हिरण का बछड़ा बारिश में जन्म लेता है तो उसे कुछ भी नहीं होगा। लेकिन अगर इंसान का नवजात शिशु अगर बरसात के पानी में भीगता है तो वोह जिन्दा भी नहीं बच पायेगा। क्युँ की बरसात के पानी के कारन उसे ठण्ड लगकर निमोनियाँ हो जायेगा और उसका नाजुक शरीर इसे नहीं कर सकने के कारन उसकी मृत्यु हो जाएगी। यहाँ पर एक सवाल खड़ा होता है की दूसरे जीवो की तुलना में इंसानो के शिशु इतने कमजोर क्युँ होते है ? जिन्हे हम अपना रिश्तेदार कहते है, उन बंदरो के बच्चे कुदरत के विपरीत हालात में भी आराम से जी लेते है। और उन्ही हालातो में तो इंसानी बच्चे दम तोड़ देंगे। आखिर ये क्या चमत्कार है ? क्या हम कुदरत की नाजायज औलाद है ?
                                                                 संभोग के बाद जब मादा गर्भवती होती है तब उसके अंदर संभोग की कामना समाप्त हो जाती है। लेकिन इंसानो में तो गर्भावस्था के दौरान भी स्त्रियों में संभोग की कामना बनी रहती है। प्रजनन के समय बाकि जीवो में मादाये इतनी कमजोर नहीं होती जीतनी इंसानी स्त्री कमजोर होती है। आखिर इसकी क्या वजह है की इंसानी शरीर की रचना दूसरे जीवो से इतनी अलग है ? ये सब बाते जानकर भी कुछ महाशय इस बात के दावे पर अड़े हुए है की हम वानरों से ही विकशित हुए है। ये वोह लोग है जो संभावनाओं को समझना ही नहीं चाहते। मगर ये बोहोत बड़ी गलती कर रहे है। इस वोह लोग समाज को अँधेरे में रख रहे है।

बुधवार, 15 मई 2019

मई 15, 2019

क्या हम एलियंस है ? भाग-2, विषय- नर और मादा शारीरिक संरचना

                                                             धरतीपर रहने वाले अगल-अलग जीवोंको सहवास के लिए, अपने साथी को आकर्षित करने के लिए कुदरत ने कुछ खूबियोसे नवाजा है। जैसे मादा मोरनी को आकर्षित करने के लिए नर मोर को रंगीन पंख दिए है। मादा शेरनी को आकर्षित करने के लिए नर शेर की गर्दन पर बालो का घेराव है। कुदरत ने हर जानवर को ऐसी खाशियाते दी है। इंसानो को भी ये खाशियाते मिली है। धरतीके सभी जीवो में ये खाशियाते नर को दी गयी है ताकि वोह मादा को आकर्षित कर सके, लेकिन इंसानो के मामलेमे ये नियम उलटा पड़ गया है। इंसानोमे में मादा को ये खाशियाते मिली है नर को आकर्षित करने  लिए। आखिर इंसानोंके मामलेमे ये बाजी उलटी कैसे हो गई ? ये बोहोत बड़ा रहष्य है। बाकि जनवरोकि तुलना में इंसानी नर और मादा इन दोनों की शारीरिक रचना में  बोहोत ज्यादा अंतर है। दोनों के शरीर का आकार, शरीर के ऊपर बालो का प्रमाण, चलनेका तरीका, आवाज ऐसी बोहोत सी बातो में अंतर है। दूसरे जानवरो की तुलना में ये अंतर कुछ ज्यादा ही है। बाकीके जानवरो की बात तो बोहोत दूर जिन्हे हम अपना रिश्तेदार कहते है उन वानर परिवार में भी ये विशेषताएं पायी नहीं जाती। इंसानो में पुरुषोंको दाढ़ी आती है लेकिन औरतो को दाढ़ी नहीं आती। लेकिन जिस वानर परिवार के हम सदस्य कहलाते है उनके नर और मादा के चहरे में ये विशेष अंतर देखने को नहीं मिलता। अब इसे क्या चमत्कार कहेंगे क्या ? और कितने दिन हम ये दावा करेंगे की वनरोसे ही हमारा विकास हुवा है।
                                                                 इंसानो में ये शारीरिक बदलाव बाहर से तो है ही साथ में अंदर से भी है। शारीरिक सामर्थ पुरुषो का  स्त्री यो के मुकाबले ज्यादा है। दोनों के दिमाग के आकार में भी अंतर है। ऐसे में मन में ये भावना उठती ही है की इंसानो का कोई 'निर्माता' जरूर होना चाहिए। विकास एक प्रक्रिया है जिसके कुछ नियम है। लेकिन इन नियमो में इंसान क्यों नहीं बैठता ? लगभग सोला करोड़ साल धरतीपर राज करके भी डायनोसॉर्स बुद्धिमान जीव नहीं बन पाए। लेकिन पिछले पांच लाख सालो विकशित हुवा मानव आज मंगल ग्रह पर अपने यान भेज रहा है। जैसे इंसानोंके विकास को किसीने जान बूझकर गति दी हो। इंसानो का विकास धरतीके बाकि जानवरो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तेजीसे हुवा है। आखिर विकास की ये रफ़्तार सिर्फ इंसानो में ही क्युँ है ? बाकीके जीवो में क्युँ नहीं ? इंसानोंके विकास की ये रफ़्तार आज भी जारी है। 

मंगलवार, 14 मई 2019

मई 14, 2019

क्या हम एलियंस है ? भाग-1, विषय- सिर के बाल

                                                                      क्या सच में हम इस ग्रह के मूल निवाशी है ? या कही ऐसा तो नहीं की हमारी उत्पत्ती किसी और ग्रह पर हुई हो और बादमे जान बूझकर हमे इस ग्रह पर पनपने के लिए छोड़ दिया गया ? आप को शायद ये सवाल अजीब लग रहे होंगे। क्युँ की बचपन से हमे स्कूल में यही सिखाया जा रहा है की हमारी उत्पत्ती वानरों से हुई है। लेकिन क्या सच में ऐसा ही हुवा था ? हम कई सालो से डार्विन के इस सिद्धांत पर आँख मूंदकर भरोसा कर रहे है, लेकिन वोह शत-प्रतिशत खरा है इसका कोई प्रमाण दे सकता है क्या ? डार्विन का ये सिद्धांत धरतीपर रहने वाले बाकि जीवों पर भलेही पूर्णतः लागु होता हो लेकिन इंसानो के ऊपर इस सिद्धांत को लागु करने पर कुछ सवाल खड़े होते है। जिनका कोई जवाब सिद्धांतकारियो के पास नहीं है। ये सवाल है इंसान की शारीरिक संरचना के बारे में, जो धरती के किसी भी और जीव से मेल नहीं खाते। इस कारण एक विरोधाभास बन गया है। मै आपको बताने जा रहा हु इंसानी शरीर की वोह विशेषताएं जो धरतीके किसी भी और जिव में पाई नहीं जाती।
1 ) सिर के बाल :-     सारि धरतीपर इंसान ही एकमात्र ऐसा जीव है जिसके सिर के बाल लम्बे होते है। आप सोच रहे होंगे की इसमें कौनसी बड़ी बात है ? जरा सोचिये की धरतीपर रहने वाले सभी जीवों के शरीर के किसी भी हिस्से के विकास के पीछे कोई न कोई वजह है।  लेकिन इंसानोंके लम्बे बालो के पीछे क्या वजह है ये तो खुद वैज्ञानिको भी पता नहीं है। और सबसे अहम बात तो ये है की अगर हमारे पूर्वज वानर थे तो वानर परिवार के बंदर, चिम्पांजी या गोरिला इनमेसे किसी के भी सिर के बाल लम्बे क्युँ नहीं ? सिर्फ इंसानो के ही क्युँ है ? खास बात तो ये है की सारि पृथ्वीपर इंसान ही एकमात्र जीव है जिसके सिर के बाल लम्बे होते है। डार्विन के सिद्धांत के मुताबिल हमारा विकास वनरोसे हुवा। जैसे-जैसे विकास की प्रक्रिया आगे बढाती गई, इंसानी शरीर में कई बदलाव हुए। पहले हमारे सारे शरीर पर घने बाल थे, लेकिन बादमे धीरे-धीरे कम होते गए। लेकिन हमारे सिर के बाल ही कम होनेके बजाय बढ़ते क्युँ गए ? इस सवाल से सारे वैज्ञानिक भी हैरान है।  उनके पास भी इसका कोई जवाब नहीं है।
                                                       और एक मजेदार बात ये है की कुछ लोगोके सिर के बाल झड़ ने कारन वोह गँजे होते है,  खाशियत भी सिर्फ इंसानो में ही पाई जाती है। इंसान के रिस्तेदार ( डार्विन के सिद्धांत के अनुसार ) कहे जाने वाले बंदर , चिम्पांजी और गोरिल्ला इन तिनोमे भी ये गुण बिलकुल भी नहीं है। ये बालो का वरदान आखिर इंसानो को मिला कहासे और कैसे ? ये एक रहस्यमयी बात है। एक तरह से ये उत्पत्ति के चरणों में हुवा चमत्कार है। लेकिन इस चमत्कार की वजह का अभी तक पता नहीं चला है। इस से जुड़ा एक दावा सामने आया था की इंसानोंके पूर्वज जी ग्रह पर रहते होंगे वहा सूरज की तेज धुप पड़ती होंगी। जिससे बचाव के लिए सर पर लंबे बाल विकसित हो गए होंगे। और उसी ग्रह से ये विशेषता हमारे साथ धरतीपर चली आई होंगी। मेरा तो यह मानना है की ये पुख्ता सबूत है इस बात का की इंसानो के विकास में एलियंस का हस्तक्षेप रहा था।

सोमवार, 13 मई 2019

मई 13, 2019

क्या एलियंस इंसानों के रचयिता है ? भाग-4, विषय-जिज्ञासू मन

                                                        अब सबसे आखरी और अहम विशेषता के बारे में हम बात करेंगे, और वोह है "जिज्ञासू मन"। इसी विशेषता के आधार पर सारी मानव जातिका विकास हुवा है। अब तक हमने जो विशेषताएं देखि जिनमे संगीत, धर्म और श्रद्धा, भाषा और रचनात्मकता ये सारी जिज्ञासू मन की ही संताने है। इंसान के मन में उठाने वाले सवाल और उन सवालों के जवाब खोजने की महत्वाकांक्षा ने ही इंसान के विकास की काया की पलट दी। इसी विशेषता ने हमे धरतीके सभी जनवरों से अलग कर दिया। इंसानो के मन में शुरवात से ही उसके आस-पास घटने वाली घटनाओ के प्रति कौतूहल रहा है। इस कौतूहल से उठने वाले सवाल इंसानो को प्रेरित करते रहे है।
                                                   प्राचीन इतिहास में अगर हम देखे तो शुरवात में आदिमानवो को आग के प्रति कौतूहल था। शुरवात में जब जंगल में आग लगती थी तो हमारे पूर्वज भी बाकी जानवरो की तरह उससे डरकर दूर भागते थे। लेकिन एक बार हुवा यु की एक बार जब जंगल में आग लगी तो उसमे कुछ जानवर बुरी तरह झुलस गए जिनकी आदिमानव शिकार किया करता था। जब आदिमानव आग बुझाने के बाद जंगल में गया तो उसे शिकार के लिए कुछ भी नहीं मिला। आग के कारन जानवर भाग गए थे और बाकि बचे झुलस कर मरे हुए थे। आदिमानव ने मजबूरन उन झुलसे हुए जानवरों को खाने का फैसला किया। और जब उन्होंने उस झुलसे हुए जनवरो के मांस को खाया तो उसे वोह स्वादिष्ट लगा। अब तक जो कच्चा मांस वोह खा रहे थे उससे बेहतर आग में भुना हुवा मांस होता है ये बात इंसान को पता चली। यहि से आदिम इंसानों के मन में आग के प्रति आकर्षण निर्माण हुवा। इसी आकर्षण के कारण इंसानों के पुर्वजोने आग पर काबू पाना सिखा। ये घटना इंसान के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना है।
                                                  अगर इंसानो में जिज्ञासू मन ना होता तो आग के प्रति उसके मन में कौतूहल ही नहीं जागता और बादमे हमारे विकास के आगे के चरण भी पुरे नहीं हो पाते, जिसपर हमारे आज के विकास की नीव खड़ी है। इसी कारण ये हमारे दिमाग की सबसे अहम विशेषता है। लेकिन धरतीपर करोडो सालो के दौरान अनगिनत प्रजातियां विकसित हुई, लेकिन सिर्फ इंसानो के अंदर ही ये विशेषता पूर्ण रूप से विकशित हुई। आखिर ऐसा क्यों ? पता नहीं की कुदरत ने इंसानोपर ही इतनी मेहरबानियाँ क्युँ की ? इस सवाल का किसिसके पास जवाब नहीं है। लेकिन मेरे जैसे कई एलियंस के जानकारों का ये दावा है की ये कुदरत की नहीं बल्कि एलियंस की रेहमत है।   

रविवार, 12 मई 2019

मई 12, 2019

क्या एलियंस इंसानों के रचयिता है ? भाग-3, विषय-रचनात्मकता

                                             इंसानो की विकशित बुद्धिके कारण उसके मन में नई-नई कल्पनाये जन्म लेती  रही है और इन कल्पनाओ को इंसान ने हक़ीक़त में उतरा है।  ये कल्पनाये वास्तुकला, चित्रकला, शिल्पकला, कपड़ो पर की जानेवाली कारीगरी  इन कलाओंके जन्म और विकास का कारण बनी है। रचनात्मकता का ये गुण इंसानोमें शुरवात से ही देखा गया है। आदिमानवो द्वारा गुफाओकी दीवारों पर निकली गए चित्रों से हमे इसके प्रमाण मिलते है। उस समय इंसानोका बौद्धिक विकास अपने पहले चरण में ही था। उस समय तो इंसानोकी कोई भाषा भी नहीं थी। यानि जब हम बोल भी नहीं पते थे लेकिन हम में रचनात्मकता थी। ये सच में हैरान करने वाली बात है। और एक हैरत में डालने वाली बात ये है की आज हजारो साल बिताने के बाद भी सिर्फ इंसानोमे ही ये विशेषता पाई गई है। और किसी भी जिव में इसका विकास आखिर क्यों नहीं हुवा ? दूसरी और इंसानोमे रचनात्मकता का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। वोह आज भी बढ़ रहा है और हर क्षेत्र में बढ़ रहा है।
                                              रचनात्मकता इंसानोको दिमागी तौर पर सुकून देने वाली शक्ति है। इंसान के दिमाग को प्रेरणा देने वाली ऊर्जा है। इंसानोने बड़ी-बड़ी इमरतोंको बनाया, लेकिन उसपर भी वह शांत नहीं बैठा। उसने उन इमरतो कि रचनाओं को और बेहतर बनानेकी कोशिश हमेशा की। इससे और नए संरचनाये बनाई। आज भी हमारा दिमाग शांत नहीं है। वह पुराणी कल्पनाओ में और सुधार करके नई-नई कल्पनाये बना रहा है। इससे और बेहतर इमारते हमे देखने को मिल रही है।  ये बात सिर्फ इमरतोंके निर्माण में ही नहीं लागु होती बल्कि हर क्षेत्र में लागु होती है। इंसान की रचनात्मकता उसे कुछ नया करने के लिए सदा प्रेरित कराती है। हर निर्माण से हमारा दिमाग कुछ सिखाता है। वोह अपनी रचनात्मकता को सुधारता है।
                                                 लेकिन ये विशेषता हमारे अंदर आई कहासे ? क्या ये हमारे विकशित होते दिमाग का नतीजा थी ? या इसके बीज हमारे अंदर किसी और ने बोये ? दुनिया की सभी प्राचीन सभ्यताओं में जो विशालकाय संरचनाएं बनायीं गयी, उनका संबंध हर बार आसमान से आये देवताओ से ही क्यों जोड़ा गया है ? इजिप्त के पिरामिड हो या माया के पिरामिड इन दोनों ही सभ्यताके के इतिहास में इन पिरामिडो का संबंध देवताओंसे जोड़ा गया है। सभी प्राचीन मदिरोंकी रचना भी देवताओ के लिए की गई। यानि एक बात तो यहाँ साफ है की इंसानोमे रचनात्मकता को किसी 'और' शक्तीने प्रेरित किया था। मेरा ये मानना है की हमे रचनात्मक बनाने के पीछे एलियंस का ही हाथ था।  आखिर ये विशेषता धरतीपर सिर्फ हमारे अंदर ही विक्षित क्युँ हुई ? इस बात का किसीके पास जवाब नहीं है।   

शुक्रवार, 10 मई 2019

मई 10, 2019

क्या एलियंस इंसानों के रचयिता है ? भाग-2, विषय-संगीत

                                                         इंसानो का विकास के शुरुवाती दौर से ही संगीत के साथ लगाव रहा है।  संगीत को इंसान ने अपनी जिंदगीका एक हिस्सा बना दिया है। इंसानोने धर्म और ईश्वर से संगीत को जोड़कर अपनी उपासना में भी संगीत को शामिल किया है। विकशित शहरी समाज हो या अविकसित आदिवासी कबीले दोनोंही संगीत को चाहते है। इंसान संगीत का इस्तेमाल खुशी ज़ाहिर करनेका जरिया, ईश्वर भक्ति में लीन होनेका जरिया, एकजुट होकर कोई त्यौहार मनानेका जरिया ऐसी कई बातोमे करता है। इन बातोमे सगीत का अपना अलग ही स्थान है। इंसानो को मिली ये एक अदभुत देन है। इंसानोंको छोड़कर और किसी भी जिव में ना तो संगीत की चाह है या इसका ज्ञान। आखिर इंसानोने ये आनंद की तरंगे कहाँसे खोज निकली ? इस सवाल का कोई ठोस जवाब इतिहास के जानकारों के पास नहीं है। बस सब ने अपनी और से बस कुछ संभावनाएं जताई।  लेकिन संभावनाएं किसी सवाल का जवाब नहीं हो सकती।
                                                संगीत इंसान  दिमाग पर संमोहन जैसा प्रभाव डालता है। ये एक तरह का जादू है। कभी कबार अगर हमारा मूड अच्छा हो और अगर हम कोई दुःखद गाना सुनते है तो हमारा मन भी निराश होने लगता है। तो कभी कबार अगर हम निराश हो और अचानक कोई मनपसंद गाना लग जाये तो मन हलका हो जाता है। कुछ गाने हमे प्रेरणा देते है। इंसानोंके दिल-दिमाग पर होने वाला संगीत का असर सच में जादुई है। लेकिन हमे ये जादू मिला कैसे ? कही संगीत भी उन एलियंस की ही देन तो नहीं जो हमारे अतीत में हमसे मिले थे ? जिन्हे हम ईश्वर के रूप में देखा गया था। दुनिया की हर प्राचीन सभ्यताओं में संगीत के देवता का जिक्र है। क्या ये महज इत्तेफ़ाक़ है ?

बुधवार, 8 मई 2019

मई 08, 2019

"ईश्वर" रचयिता या शैतान ?

                               धरतीपर रहने वाले सभी जीवोमेसे सिर्फ इंसान ही ईश्वर इस संकल्पना से जुड़ा है। इंसान शुरू से ही रहश्य के पीछे भागता रहा है। शुरवात के दिनों में जब मानव आदिम अवस्थासे बाहर आ रहा था तो उसके दिल में आसपास प्रकृतिमे घटने वाली घटनाओ को देखकर उसके मन में सवाल जागते थे की आखिर ये घटनाये क्यों होती है ? इनके घटने का कारण क्या होगा ? जैसे की बरसात में बिजली का चमकना, ये भी इंसान के लिए किसी चमत्कार से काम नहीं था। फिर आगे चलकर इस सवाल पर उसने सोचा की शायद इन प्रकृति को चलने वाली कोई दिव्य शक्ति होगी और इसी शक्ति को उसने 'ईश्वर' का नाम दिया। शुरवात में तो मानव प्रकृति की ही पूजा करते थे। इनमे नदिया, पहाड़ ,पेड़ ये सब थे। अब तक तो सब ठीक चल रहा था। लेकिन आगे चलकर इस बीमारी ने भयानक रूप ले लिया। अब वोह ईश्वर जिसे मानव प्रकृति के रूप में पूजता था उन्हें मूर्ति रूप पूजे जाने लगा। और हद तो तब हुई जब इस ईश्वर ने इंसानो के बिच मानव रूप में जन्म लेकर चमत्कार दिखाए और नए धर्म और निति-नियमो का निर्माण किया। और आज तक उनका कड़ा पालन इंसान करता आया है। मगर सवाल ये खड़ा होता है की ये ईश्वर आया कहा से ?
                              आज दुनिया के 80 फीसदी लोग किसीना-किसी धर्म को मानते है। सबका अपना अलग एक ईश्वर है। अपने अगल धर्म-ग्रंथ है जिन में उनके ईश्वर के उपदेश और नीति-नियम है। सभी दावा करते है की उनका धर्म ही सच्चा है और उनका ईश्वर ही सरे विश्व का निर्माता है। लेकिन कोई एकदूसरे से मेल नहीं खाते। सभी धर्मो के ईश्वर दिखते अलग-अलग है। उनकी भाषाए अलग-अलग है। उन्होंने जो बाते कही या उन्होंने जो नियम बनाये वोह भी अलग-अलग है। अगर सारे विश्व का निर्माता अगर एक ही है तो फिर ये भिन्नताएं क्यूँ ? और अगर सारे विश्व का वोह निर्माता है तो बाकीके प्राणी उसी पूजा क्यों नहीं करते ?
हम जिस हवा में सास ले रहे है, वोह भी उस हवा में सास ले रहे है। हम जो पानी पि रहे है वोह भी वही पानी पि रहे है। कही भी कुदरत ने ऐसा कोई पक्षपात नहीं किया है जो उन्हें दिया वोह हमे न दिया हो। इसपर धार्मिक लोगोका जवाब आता है की हमे 'ईश्वर' ने बुद्धि दी है जो हमे दूसरे जनवरोंसे अलग बनती है। और इसी कारण हमे ईश्वर के अहसानमंद होना चाहिए। मै इस बात को मानता हु की इंसानोको बुद्धि का बहुमूल्य वरदान मिला है। लेकिन क्या इसमें सच में उस ईश्वर की कोई भूमिका रही थी जिन्हे हम आज पूजते है ? या फिर वोह कोई और थे ?
                                 ये मेरा मानना है की हमारे विकास में एलियंस का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये बात तो साफ है की हमे आज जो तरक्की हासिल हुयी है उसमे किसी बाहरी शक्ति ने जरूर सहाय्यता की थी। वरना हम आज भी जंगलो में पेड़ो पर लटक रहे होते। 'एरिक वोन डेनिकन'  दुनिया भर में घुमाकर इस बात के सबूत खोज निकाले है की हमारे अतीत में एलियंस आ चुके है और उन्हेही हम ईश्वर कहते है। दोस्तों मैंने इस लेख के शुरवात में ही आपसे कहा था की जो बाते मनुष्योंको अद्भुत लगाती उनमे मानव चमत्कार देखता और उन्हें ईश्वर से जोड़ता था। जब एलियंस धरतिपर आए होंगे तो उन्हें देखकर इंसान अचंभित हो गए होंगे। उनके हवामे उड़ने वाले यान, उनसे निकलने वाली रोशनियाँ। ये सब मानव की कल्पना के बाहर था। उसने जो देखा उसे चमत्कार ही लगा। और उसने एलियंस को भगवान समझ लिया। दोस्तों शायद आप लोगोको बुरा लगा होगा की मै ये क्या कह रहा हु ?
                                 ऊपर जब मैंने धर्म के लिए 'बीमारी' शब्द का प्रयोग किया तो शायद आपको बुरा लगा हो लेकिन मै इसकी वजह आपके सामने रखने जा रहा हु। दोस्तों एक ब्रिटिश मनो-वैज्ञनिका ने दावा किया था की "ईश्वर" एक बीमारी है जो पीढ़ी-दर पीढ़ी आगे बढ़ती जाती है। उसके इस दावे पर अमरीका के वैज्ञानिको परिक्षण करने की ठानी। दोस्तों आपको तो पता ही है की हमारे दिमाग के कई अलग-अलग हिस्से है और हर हिस्से का अपना एक काम है। वैज्ञानिको फिर उस हिस्से को खोज निकाला जो "धर्म और ईश्वर" से जुड़ा है। एक सामान्य व्यक्ति को प्रयोग के लिए बुलाया गया। उसे एक खुर्ची पर बिठा दिया गया। उसे बेल्ट  सहायता से कसकर बांधा गया। फिर उसके सर पर कोड्स लगाए गए और दिमाग के उस हिस्से में जो "ईश्वर और श्रद्धा" का संचालन करता है ,उसपर इलेक्टो-मैग्नेटिक पल्स छोड़े गए और तब वोह हुवा जिसकी किसीने कल्पना भी नहीं की थी। अच्छा हुवा उसे खुर्सी से बांधा हुवा था। जब  इलेक्टो-मैग्नेटिक पल्स उसके दिमाग में पोहचे तो वोह आदमी अचानक पागलो की तरह चिल्लाने लगा " मेरे सामने जीजस क्राइस्ट प्रकट हो गए है " (क्यों की वह इंसान एक क्रिस्चन था और उसकी जीजस में श्रद्धा थी इसी कारन जीजस, अगर उसकी जगह कोई और धर्म का व्यक्ति होता तो शायद कोई और भगवान प्रकट होते ) दोस्तों मैंने पहले भी अपने एक लेख में कहा था की इंसानोंके DNA के साथ किसी  छेड-छाड की हुयी है।  इसी कारन पूरी धरती पर सिर्फ हम ही इस बीमारी के शिकार हुए है। लेकिन आप सोंचेंगे की आखिर इससे एलियंस का क्या फायदा, या  उन्हें ये सब करके क्या हासिल होगा। चलो मै आपको एक उदहारण देकर समझाता हु। अगर एलियंस को धरतीपर अपना कब्ज़ा करना हो तो उन्हें क्या करना पड़ेगा ? कुछ भी तो नहीं। क्या आप नहीं समझे सोचिये की अगर एलियंस धरतीपर अपनी एडवान्स तकनीक के चलते "जीजस" के रूप में किसी एलियंस को दुनिया के सामने प्रकट करे, जो हवामे उडाता हो, जो किसी सभी किसिस और चीज में बदल देता हो, जो मुर्दो को जिन्दा कर दे तो पृथ्वीपर रहने वाले करोडे ईसाई उसकी शरण में चले जायेंगे। उसे कुछ भी नहीं करना पड़ेगा और साडी मानवता उसकी गुलाम हो जाएगी। अब कुछ बात सबझ आयी ?
                             हमारा ईश्वर को मानना हमारे लिए वरदान नहीं बल्कि हमारे खिलाफ रची एक बड़ी साजिश का नतीजा हो सकता है।

बुधवार, 1 मई 2019

मई 01, 2019

क्या एलियंस इंसानों के रचयिता है ? भाग-1, विषय-भाषा


                               डार्विन का सिद्धांत हमे बताता है की धरतीपर रहले वाले बाकि जीवो की तरह इंसान भी उत्क्रांतिका(Evolution) एक फल है। लेकिन ऐसी कई बाते है जो इंसान को धरतीपर रहले वाले बाकि जीवो से अलग कराती है। ये बाते उत्क्रांति में विकशित हुए दूसरे जीवो से मेल नहीं खाती। उन सभी विशेषताओं के बारे में हम एक-एक करके चर्चा करते है।
1) भाषा :- पृथ्वीपर रहने वाले किसी भी प्रकार की जीवो में संवाद की इतनी प्रभावशाली विशेषता विकशित नहीं हुई, सिवाय इंसानों के। लेकिन इंसानोने न सिर्फ बातचीत के लिए भाषा का उपयोग किया बल्कि इसका इस्तेमाल करके साहित्य की रचना भी की। भाषा का इंसानोंके विकास में सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा। भाषा के कारण ही सभ्यताओं का विकास हुवा।
                                       इसमें दिलचस्प बात ये है की धरतीपर रहने वाले सारे दूसरे जीव एकदूसरेसे संपर्क बनाने के लिए जिन अवाजोका इस्तेमाल करते है या यु कहे की उनकी जो भाषा है वह सभी जगह पर एक ही है। उदहारण के तौर पर किसी कुत्ते को लीजिये अफ्रीका में रहने वाला कोई कुत्ता हो या अमेरिका में, दोनोके भोकने ने  का आवाज और उसका मतलब दोनों जगह के जीवो के लिए एक सामान ही होगा। लेकिन इंसानोंके लिए ये नियम लागु नहीं होता। हर एक प्रान्त की भाषा अलग है, उसे बोलने का तरीका अलग है। शब्दों की रचना बदलते ही भाषा बदल जाती है उसका अर्थ बदल जाता है। और एक बात भाषा के लब्ज और उनका इस्तेमाल भी हमेशा एकजैसा नहीं रहता। हर सौ सालो में भाषा के ढांचे में बड़ा बदलाव होता है। उसे एक नया रूप मिल जाता है। लेकिन जब हम दूसरे जनवरोके बारे में देखते है तो हमे ऐसा कोई बदलाव देखनेको नहीं मिलता। सौ साल पहले कुत्तो के भोकने और आज के भोकने में कोई बदलाव नहीं आया है।  आखिर ऐसा क्यों ? लगभग दस हजार सालो पहले हम ने कुत्तो को पालना शुरू किया। पिछले दस हजार सालो में इंसानो की बौद्धिक क्षमता हैरतंगेज रूपसे बढ़ी है। लेकिन इंसानो के साथ रहकर कुत्तो में ये बदलाव क्यों नहीं हुवा ? बस इतना बदलाव हुवा है की वह अब इंसानो के साथ घुलमिल गए है।
                                    ये एक रहश्य है की धरतीपर रहने वाले सिर्फ इंसानोको ही ये कुदरत की देन मिली है। क्या ये कुदरत के पक्ष्यापात का उदहारण है ? या ये इनसानोको दी हुयी एक देन है जो उसे किसी और ने दी है ? कई प्राचीन ग्रंथो में भाषा को रचयिता की देन कहा गया है। लेखोके मुताबिक उनके देवता भी उसी भाषा का इस्तेमाल करते थी जिन भाषाओंमे प्राचीन ग्रंथो की रचना की गई। आश्चर्य की बात है की जब ईश्वर सारी सृष्टि की रचना की तो उसने संवाद के लिए सिर्फ  इंसानो की ही भाषा का इस्तेमाल किया। बाकि जीवोंका वजुद उसके लिए कोई मायने नहीं रखता था। और इसमें में भी एक और रहश्य है की दुनियाकी लगभग हर सभ्यता में ईश्वर ने उनसे बात की थी। जिस भाषा में ये बाते हुयी उन्ही भाषाओमे उनके ग्रंथो को लिखा गया। लकिन सभीके देवताओ की भाषा अगल अलग क्यों है ? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। हर कोई कहता है की उनका ईश्वर की सारी मानव जातिका रचयिता है। लेकिन उनकी भाषाएँ मेल नहीं खाती, उनकी कहानियाँ मेल नहीं खाती।
                                 मेरा यह मानना है की हमारे भूतकाल में हमारे बिच जो हमारे ईश्वर रहते थे, दरसल वह एलियंस ही थे लेकिन। धरतीपर अलग अलग जगहों पर एलियंस की अलग अलग प्रजातियोने इंसानो के साथ सम्पर्क बनाया था। इसी कारण सबकी भाषाओंमे इतना अंतर है। कई एलियंस द्वारा अपहरणग्रस्त लोगोने दवा किया है की उनके साथ एलियंस ने प्राचीन भाषाओं में बात करने की कोशीश की थी। आखिर एलियंस को ये प्राचीन भाषाएँ किसने सिखाई ? कही ऐसा तो नहीं की उन्होंने ही हमे ये भाषाएँ शिखाई थी ? 
इस लेख की अगले भाग में हम चर्चा करेंगे "धर्म और श्रद्धा " पर .

मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

अप्रैल 30, 2019

एलियंस और हम भारतीय :भाग-2


               एलियन विज्ञान और तकनीकी लिहाज से हमसे कई आगे होनेके कारण हमारे हथियार और हमारी सेना उनका मुकाबला हरगिज नहीं कर सकते। आपको लगता होगा की शायद मै आपको बेवजह डरा रहा हु, लेकिन मेरी बातो में सच्चाई है। जरा सोचिये पहले जो UFO दिखाई देती थी उनकी तादाद कम थी। लेकिन धीरे-धीरे इनकी तादाद बढ़ने लगी। और अब तो वोह इंसानो का अपहरण भी करने लगे है। यूरोप और अमरीका में अब तक हजारो लोगोने एलियंस द्वारा अगवा किये जाने का दावा किया गया है। और खास बात ये है अमरीका की दो महत्वपूर्ण एजंसिया C. I . A  और F. B. I भी इन घटनाओ पर ध्यान दे रही है। इसी कारन इन घटनाओं को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। एक समय पर एक व्यक्ति झूठ बोल सकता है लेकिन बहोतसी घटनाओ में गवाहोका परिक्षण किया गया जिसमे ये साबित हो गया की वोह सच बोल रहे थे। खास बात ये है की इनमे सेना के अधिकारी , पुलिस और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।
                           UFO देखे जाने का दावा करने वालो में पायलट, हवामनशास्त्री, डॉक्टर, वकील ऐसे लोग भी शामिल है। क्या इन लोगो को भी भ्रम हुवा होगा ? कोई पायलट क्यों झूठ बोलेगा ? इस कारन अब हमे इस विषय को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। क्यों की ऐसी वारदाते हमारे देश में भी अब सामने आने लगी है। कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के चिखलदरा में लोगोने एलियंस देखे जाने की खबर दी थी। आगरा के ताज महल के ऊपर भी एक UFO को रिकॉर्ड किया गया था। और लखनऊ भी लोगोने अजीब रोशनी देखने का दावा किया था। पहले सिर्फ यूरोप और अमरीका में नजर आने वाले UFO अब एशिया में भी नजर आने लगे है। चीन से कई UFO की घटनाये सामने आई है। ईरान में तो ख़ुफ़िया तरीकेसे चलाये जाने वाले मिसाइल परीक्षण के दौरान उन्हें UFO दिखा।
                                  इस कारन भारतीय समाज को इस विषय की अहमियत को समज लेना चाहिए। हम कई बार रात के आसमान को देखते है। कभी कोई अनजान रोशनी दिखे तो अनदेखा करे। कई बार हम ऐसी रोशनियों को विमान,सैटेलाइट या टूटता हुवा तारा समजकर नजरंदाज कर देते है।  लेकिन वो शायद कोई यान भी हो सकता है। हमारे देश में हर साल हजारो लोग गुमशुदा होते है। कुछ तो मिल जाते है लेकिन कुछ का कभी पता नहीं चलता।  हो सकता है इन गुमशुदा लोगो में से कुछ एलियंस के अपहरण का शिकार हुए हो ? कुछ लोगोको ये बाते बेतुकी लगेकि लेकिन संभावनाओंको सिरे से नकारा नहीं जा सकता। क्यों की यूरोप और अमरीका में एलियंस द्वारा अगवा किये जाने का दावा करने वालोका आकड़ा दस हजार से भी ज्यादा है। तो ऐसे में इस बात की क्या गॅरेंटी है की एलियंस भारतीयों का भी अपहरण नहीं करते होंगे?
                                 अब जबकि वोह हमारे इतने करीब आ चुके है। ऐसेमे हमारा उनसे अनजान रहना हमारी  सबसे बड़ी बेवकूफी साबित होगी। क्यों की अग्यानता से बड़ा कोई शत्रु नहीं। अगर हमने इन अपरिचित मेहमानोकी के बारे में सजकता नहीं दिखाई तो इसके परिणाम भयानक हो सकते है. 

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

अप्रैल 20, 2019

एलियंस और हम भारतीय :भाग-1

                    हमारा ब्रम्हाण्ड बेहद विशाल है। इसकी सीमाओं की हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारी तो दूर की बात लेकिन हमारे सौरमंडल को चलाने वाले सूरज का स्थान भी इस ब्रम्हाण्ड में शुन्य है। हमने विज्ञान में बेहद तरक्की कर ली है। लेकिन विज्ञान भी इस ब्रम्हाण्ड की पहेली को समझने में कम पड़ रहा है।  इसका कारण है, ब्रम्हाण्ड का विशाल आकार। हम आज भी इस ब्रम्हाण्ड के विकास और विस्तार के बारेमे कोई ठोस जवाब नहीं दे सकते। हम ये भी नहीं बता सकते की इस ब्रम्हाण्ड में हम है कहा। पृथ्वीपर पर हम अपना सही स्थान बता सकते है, लेकिन ब्रम्हाण्ड के बारे में हम अभी भी अग्यात है।
                   बीसवीं सदी को औद्योगिक क्रान्ति का युग कहा गया। वैज्ञानिकोने कई चमत्कारिक चीजोंकी खोज इस सदी में की। समाज के विकास के साथ-साथ विनाश भी इसी सदी में घटित हुवा। दो महायुद्धों को दुनियाने इसी सदी में देखा। इसी सदी में UFO ने दुनियाभर धूम मचा दी। पश्चिमी देशो में समाज, सेना और सरकार इन तीनो पर UFO की घटनाओ का असर पड़ा। UFO देखने का दावा करने वालो की तादाद बढ़ती ही जा रही थी। अखबारों को मसालेदार खबरे मिल रही थी। इनमे सरकार और सेना को शक की नजर से देखा जाने लगा। लेखकों के हाथ भी एक दिलचस्प विषय लगा था। एलियंस पर बड़े पैमाने पर किताबे लिखी गई। फिर भला सिनेमा जगत इसमें कैसे पीछे रहता ? हॉलीवुड में एलियंस पर कई फिल्मे बनाई गई। कुछ फिल्मो में एलियंस को अच्छा तो कुछ में खलनायक दिखाया गया। इस प्रकार एक गंभीर विषय को मनोरंजक बना दिया गया। उस समय अगर कोई भी विचित्र घटना घटती तो उसे एलियंस से जोड़ कर देखा जाता। अनेक लोग सामने आये जिन्होंने खुद एलियंस का संशोधक कहा। पश्चिमी देशो में भूचाल लाने वाले इस विषय से लेकिन भारत कोसो दूर था। भारतीयोंको इस विषय का परिचय 21 सदी में हुवा। 20 सदी के अंत में कुछ भारतीय लेखकों ने इस विषय को लोगोके सामने रखा, लेकिन इस विषय को लेकर भारतीयों को खास रूचि नहीं थी। 2003 साल में आई हिंदी फिल्म "कोई मिल गया" ने भारतीयोंको एलियंस से परिचित करवाया।
                          एरिख डेनिकेन इनकी मशहूर किताब हो या 1947 की रोजवेल की घटना हो या 'सेटी' को मिला हुवा 'WOW' संदेश, इन सब से आज भी बहुसंख्य भारतीय अंजान है।  जब की पश्चिमी देशो में ये घटनाये मशहूर है। आम लोग इनके बारेमे जानते है।
                               अफ़सोस इस बात का है की आज भी भारतीयोमे इस विषय को लेकर दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालो से मै इस विषय पर काम कर रहा हु। इतने सालो में इक्का-दुक्का लोग ही मुझे मिले है जो इस विषय पर मुझसे चर्चा की। बाकि बचे सबने मेरा मजाक उड़ाया। लोग राजनीती पर बात करते है,धर्म पर बात करते      है,फिल्मो पर बात करते है, क्रिकेट पर बात करते है, लेकिन एलियंस के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। अगर किसीको बताने जाओ तो कहते है की "इस बात से हमारा क्या लेना-देना?" उन्हें इस विषय की गंभीरता का एहसास नहीं है। एलियंस का आगमन हमारे लिए कितना खतरनाक हो सकता है इस की चेतावनी मशहूर वैज्ञानिक डॉ स्टीफेन हॉकिंग दी ही है। अगर एलियंस धरतीपर आते है तो उनका इरादा धरतीपर कब्ज़ा करना ही होगा और हमे तब उनका गुलाम बनाना पड़ेगा।

इसके आगे की चर्चा, इसी लेख की अगले भाग में   

रविवार, 14 अप्रैल 2019

अप्रैल 14, 2019

वेलैंसोल UFO, फ्राँस (1965)


1 जुलाई 1965 को फ्राँस के दक्षिण-पूर्व एल्स-डे-हाउते-प्रोवेन्स के वेलैंसोल में रहने वाले एक किसान मौरिस मास्से के साथ हुई ये घटना है। दरसल उस दिन मास्से सुबह 5.45 को अपने खेत की और जा रहा था। तभी उसे खेत के अंदर से एक विचित्र आवाज सुनाई दी। जब वह आवाज की दिशा में आगे बढ़ा तो उसे वहा  एक बड़ा अंडे के आकर का यान दिखाइ दिया। जिसके पास ही दो छोटे कद वाले विचित्र जिव थे। उन मे से एक ने जब मास्से को अपनी और आते देखा तो उसने अपने हाथ में एक यंत्र को मास्से की और किया और इसके बाद मास्से पूरी तरह से स्तब्ध हो गया। उसके पुरे शरीर को जैसे लकवा मार गया था। वो बिलकुल भी हिल नहीं पा रहा था।
      बादमे वे छोटे कद वाले जिव जल्दी से अपने यान में चढ़कर वहा से चले गए। उनके जाते हि मास्से का शरीर सामान्य हो गया। जब वह उस जगह जाता है जहा पर यान उतरा था, तो उसे वहा उस यान द्वारा छोड़े गए निशान साफ दिखाइ देते है। रात करीब 8.30 बजे मास्से अपनी बेटी के साथ घटना स्थल पर दुबारा जाता है। तब उन्हें इस बात का एहसास होता है की वहा की जमीन सिमेंट की तरह सख्त हो चुकी है। यह बात आग की तरह पुरे इलाके में फ़ैल जाती है। पुलिस को इस बात की खबर मिलते ही वोह भी घटना स्थल पर पहुँच जाते है और वहा की जाँच करते है। उन्हें वहा पर कई निशान मिलते है।       

शनिवार, 13 अप्रैल 2019

अप्रैल 13, 2019

बोयसेन्स UFO, दक्षिण अफ्रीका (2010)


जुलाई 2010, इस महीने दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया के बोयसेन्स के निवाशीयोने लगातार दो दिन तक लगातार आसमान में अग्यात रोशनियाँ देखी। दोनों ही दिन यह रोशनियाँ सूर्यास्त के कुछ समय बाद रात 8.30 बजे तक आसमान में स्थिर दिखाई दी। 8.30 के बाद ये रोशनियाँ क्षितिज पर धीरे-धीरे निचे जाते हुए गायब हो गई।
 प्रत्यक्षदर्शी लोगो ने बताया की वो इस अग्यात वस्तु के आकार को समझने में वे लोग असमर्थ रहे। लेकिन उनका अंदाजा था की वोह शायद त्रिकोणी आकार का रहा होगा। 19 साल के 'वॅन डेर स्पाय' ने अपनी दूरबीन से देखने की कोशिश की लेकिन उसे भी इस वस्तुके आकार का पता नहीं चला। लेकिन जिस प्रकार की उन रोशनियों की संरचना थी, लोगोने अंदाजा लगाया की वह त्रिकोणी आकार का होगा। वह रोशनियाँ अलग-अलग रंग की थी. नीला, पीला और सफ़ेद रंग की।
   इस घटना पर जब स्थानिक पुलिस और दक्षिण अफ्रीका की वायु सेना से पूछा गया तो वोह इस बारेमे कोई भी जवाब देने में असमर्थ रहे। उन्हें खुद ही नहीं पता था की उस रात आसमान में आखिर था क्या ?

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

अप्रैल 10, 2019

ऐल्डर्न UFO की घटना (2007)


  कॅप्टन 'रे बाउयर' एक अनुभवी पायलट थे। उन्हें उड़ान का 18 साल का अनुभव था। और पिछले 8 साल से वह रोजाना की 45 मिनट की फ्लाइट उड़ा रहे थे। ये उड़ान उनके रोजाना के काम का हिस्सा थी। लेकिन 23 अप्रैल 2007 की उड़ान रोज की तरह सामान्य नहीं थी। वह उड़ान उनके लिए एक अदभुत अनुभव दे गयी जिसे वोह कभी नहीं भूल पाएंगे।
     23 अप्रैल 2007 को कॅप्टन रे दो यात्रियों के साथ दक्षिण इंग्लैंड के ऐल्डर्न से फ्रांस के 16 KM दूर स्थित चनैल द्वीप समूहों की और जा रहे थे। अचानक उन्होंने आसमान में दो विशाल आकर के सुनहरे रंग के 2 UFO को देखा। वोह उन विशाल आकर के UFO को देखकर डर गए। वोह उनसे दूर ही रहना चाहते थे।  यह अनुभव पायलट और उनके दोनों यात्रियों के लिए डरावना था।  उस दिन और एक पायलट का उन UFO से सामना हुवा था।
  जब रडार के रिपोर्ट जाँचे गए तो उसमे भी यह बात साफ हो गयी वहा सच में कुछ था।  यह पुख्ता सबूत है इस बात का की कॅप्टन रे ने सच में UFO देखा था।

मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

अप्रैल 09, 2019

ओ'हारे अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर UFO के दर्शन (2006)


                                        7 नवम्बर 2006 को शिकागो के ओ'हारे हवाई अड्डे के कर्मचारीयो ने UFO देखने का दावा किया।
                                                               सूत्रो के मुताबिक सबसे पहले उस UFO को एक रैम्प कर्मचारी ने देखा। उसने इस बात से बाकि कर्मचारियों को अवगत कराया। ना सिर्फ कर्मचारियों ने बल्कि हवाई अड्डे के आस-पास कई आम लोगोने भी इस घटना को देखा। वह UFO वहापर लगभग 5 मिनट तक दिखाई दिया। हलाकि इस घटना की कोई तस्बीर नहीं सामने आई। लेकिन जो इस घटना के गवाह थे, वे खुद विमान कर्मचारी थे। इस कारन इस घटना की सत्यता पर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती।
                                                              लेकिन हर बार की तरह इस बार भी अमरीकी एजेंसियों ने इस घटना को सिरे से नकार दिया की उस दिन हवाई अड्डे पर जो देखा गया वह एक UFO था। उन्होंने कहा की वह एक मौसम की खराबी का नतीजा था। लेकिन यहाँ पर एक सवाल खड़ा होता है की जो पायलट सालो से विमान उड़ा रहे हो, जिन्हे मौसम की अच्छी खासी जानकारी हो, क्या उन लोगोकी आँखे सच में धोका खा सकती है ? या फिर उन्हें जान बूझकर झूठा साबित किया जा रहा है ? मुझे नहीं लगता की विमान कर्मचारियों को कोई धोका हुवा होगा। 

रविवार, 17 मार्च 2019

मार्च 17, 2019

फीनिक्स लाइट्स (1997)


    13 मार्च 1997 को अमेरिका के एरिझोना, नेवडा और मेक्सिकन राज्य सनोरा में कई लोगोने आसमान में एक त्रिकोणी UFO देखा।
                               रिपोर्ट के मुताबिक एक त्रिकोणाकार UFO जिसपर 5 लाइटे थी, बिना कोई आवाज किये, बेहद कम उचाई पर शहर के ऊपर मँडरा रही थी। उस दिन कुल दो वाकिये हुए थे। एक वोह रोशनी जो अमेरिका के बाकि जगहों पर आसमान में शहरो पर से गुजर रही थी और एक फीनिक्स शहर जहा ये रोशनी एक दम स्थिर नजर आ रही थी। इस घटनाओ की कई लोगोने तस्बीरे ली। कई लोगोने वीडियोस भी बनाये। जिन्हे डिस्कवरी चैनल और द हिस्ट्री चैनल जैसे बड़े चैनलों पर भी दिखाया गया।
                                        लेकिन सेना ने इस बात से इंकार कर दिया की उस रात आसमान में कोई UFO था। लेकिन जब NOAA डेटा सामने आया तो उसमे सेना की पोल खुल गई। रेडार पर साफ-साफ एक अग्यात यान नजर आ रहा था। अमेरिका के इतिहास में रोजवेल के बाद फीनिक्स लाइट्स सबसे मशहूर घटना है।
                                       
वोह रोशनी 2007 और 2008 में दुबारा देखे जाने की बाते सामने आई थी। इस  भी सेना ने इस बात को ख़ारिज कर दिया। उन्होंने कहा वह हीलियम बलून की फ्लेम थी।   

शनिवार, 16 मार्च 2019

मार्च 16, 2019

द बेल्जियम वेव (1989-1990)


    नवम्बर 1989 के अंत में बेल्जियम में कई लोगो ने आसमान में एक त्रिकोणी आकर की अग्यात यान को देखे जाने की रिपोर्ट दी। लेकिन किसीने भी कोई फोटो या कोई सबुत सामने नहीं लाया था। लोगोके मुताबिक वह चीज सपाट त्रिकोणी आकर की थी।  जिसमे कोणों पर कम रोशनी वाली लाईटे थी।
   बेल्जियम UFO लहर 30-31 मार्च 1990 की रात की घटनाओ के साथ चरम पर थी। उस रात रडार पर एक अग्यात वस्तु को देखा गया। सेना ने अपने दो   F-16 विमानों को तुरंत ही जाँच करने भेजा। लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगा। क्युँ की उन्हें कुछ दिखाई ही नहीं दिया। रडार पर जो अग्यात चीजे दिखाई दी थी, दरसल वोह वहा थी ही नहीं। क्युँ की पायलटो को वहा पोहचने पर कुछ नहीं नजर आया। या शायद पायलट उसे देख ही नहीं पा रहे थे ! कही उन्होंने खुदको अद्रुश्य तो नहीं कर लिया था ? चाहे जो हो लेकिन इस घटना से सेना ही परेशान थी। उस रात और कही भी UFO देखे जाने की रिपोर्ट नहीं मिली। लेकिन अगले दो हफ्तों में 143 लोगोने उस अग्यात यान को देखे जाने का दावा किया।
 बेल्जियम वेव के तहत पुरे देश में हजारो लोगो ने आसमान में अग्यात यानो को देखने का दावा किया। इस बारेमे ना तो सरकार और ना ही सेना ने कोई स्पष्टीकरण दिया। क्युँ की वोह खुद ही इन घटनाओ को समजने में असमर्थ रहे थे।

शुक्रवार, 15 मार्च 2019

मार्च 15, 2019

रॅडलेशम जंगल में UFO (1980)


                                                                          26 दिसम्बर 1980 को इंग्लैंड के सफोल्क काउन्टी के इप्सविच शहर के पूर्व में 13 KM दुरी पर स्थित ब्रिटिश रॉयल एयर फ़ोर्स के RAF Woodbridge इस केन्द के पूर्वी द्वार पर सुरक्षा रक्षकोने सुबह लगभग 3 बजे सामने जंगल में एक चमकदार चीज को आसमान से नीचे उतरते देखा। पहले उन्हें लगा की शायद कोई विमान होगा जो क्षतिग्रस्त हो गया हो। लेकिन जब वोह जंगल में पहुंचे तो उस यान को देखकर हैरान थे, जिसे वोह क्षतिग्रस्त विमान समझ रहे थे, वह एक ऐसा यान था जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। वह चमकीली धातु का बना हुवा था। उसपर अग्यात आकृतियाँ बानी हुयी थी। साथ में उसपर कई सारी लाइटे भी थी। उनकी रोशनी बोहोत तेज थी। जब रक्षक उसके पास जाने लगे तो वह यान तेजीसे ऊपर उठा और चला गया।
                                      सुबह जब अधिकारी घटना की जाँच करने पहुंचे तो उन्हें वहा त्रिकोणी निशान मिले। साथ ही वहा रेडिशन का स्तर भी ज्यादा था। यह घटना ब्रिटेन के इतिहास में रोजवेल की तराह मशहूर है। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी खुद सेना के जवान होने के कारन इस घटना की सत्यता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। 

गुरुवार, 14 मार्च 2019

मार्च 14, 2019

मॅनिस UFO की घटना (1979)


            11 नवम्बर 1979 को दुनिया के इतिहास में पहली बार किसी व्यावसायिक विमान को UFO के कारण आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी थी। उस दिन TAE Supercaravelle नामक विमान अपने फ्लाइट JK-297 को साल्जबर्ग (ऑस्ट्रिया) से लॉस पाल्मस की ओर ले जा रहा था। जिसके पायलट थे फ्रांसिस्को जेवियर लेर्डो डी तेजदा। करीब रात 11 बजे उन्हें अपने विमान के पास ही लाल रोशनी के गोलों का समूह नजर आया। पहले उन्हें लगा की वह शायद कोई विमान होगा। इस लिए उन्होंने उससे रेडिओ संपर्क बनाने की कोशीश की। लेकिन कोई फायदा नहीं हुवा। वोह लाल रोशनियाँ विमान के कुछ ज्यादाहि करीब आ रही थी। उन्होंने इस बारेमे जानकारी पाने के लिए बार्सिलोना के उड़ान नियंत्रण केंद्र और टोरेजोन डी अर्दोज (मैंड्रिड) के सैन्य रडार से संपर्क किया। लेकिन दोनों भी इस बारेमे कोई जानकारी नहीं दे पाए। वोह लाल रोशनियाँ विमान के ज्यादाही करीब आने के कारन पायलट विमान की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। उन्होंने विमान को थोड़ा नीचे लाया। लेकिन वह चीज अभी भी उनका पीछा कर रही थी। आखिर पायलट ने अपने सहाय्यको के साथ बात करके आपातकालीन लैंडिंग करने का निर्णय लिया। विमान को मॅनिस के हवाई अड्डे पर उतारा गया।
                इसके बाद भी रडार पर 3 UFO दिखाई दिए। उनमे से एक तो हवाई अड्डे के रनवे के बेहद करीब से गुजरा। सेना को इसकी जानकारी मिलते ही नजदीक के एयरबेस लॉस लैलनोस (एल्बासेट) से Miraj F-1 ने UFO की जानकारी पाने के लिए उड़ान भरी। उसके पायलट थे कप्तान फर्नांडो कोमरा। पायलट अपनी अधिकतम गति से उसका पीछा कर रहे थे। लेकिन डेढ़ घंटे तक पीछा करने के बाद इंधन की कमी के कारण पायलट को लौटना पड़ा। और वह रोशनी भी गायब हो गयी थी। 

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