Breaking

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

फ़रवरी 22, 2020

एलियंस और सरकार

                                                               हम धरतीवासी पिछले कई सालो से ये सवाल पूछ रहे है, की क्या हम इस विशाल ब्रम्हाण्ड में अकेले है ? इस खोज पर दुनियाँ के बड़े-बड़े देश अरबो रुपये खर्च कर रहे है। यहाँ सवाल ये है की जो हम देख रहे है वोह सच है या जो हम देख रहे है सरकार जान बुज़कर हमे दिखाना चाहती है। जो हम देख रहे है वो एक चलवा तो नहीं ? क्यूँ की ये जरुरी नहीं की जो हम देख रहे हो वो ही सच हो। सच्चाई हमारी कल्पनासे भी जयादा विचित्र  है। और जब हम बात एलियंस  दूसरे ग्रहो के जीवो की अति है तो इस मामले को देश की राष्ट्रिय सुरक्षा  जोड़कर देखा जाता है। लेकिन आखिर सर्कार हमसे क्यों छुपाना चाहती है ? शायद सरकार इस मामले में ये नजरिया रखती हो की अगर परग्रहीयो  लोगो मे फ़ैल गई तो शायद लोगो में इस बात को लेकर डर फ़ैल सकता है। कुछ एलियंस शोधकर्ताओं का ये भी मानना है की सरकार के पास परग्रहीयो से जुड़े कई साबुत भी मौजूद है। लेकिन सवाल ये है  आखिर सरकार ये कर क्यूँ रही है ? तो इसका भी एक जवाब रहश्यवादी शोधकर्ता  है की एलियंस की तकनीक  इस्तेमाल करके सरकार उन्दा क़िस्म के हथियार विकशित कर रही है। शायद आपको लगेगा की ये सब बेकार की बाते है। लेकिन आप को एक घटना की जानकारी देना चाहता हु जो इस सिद्धांत को पुख्ता कराती है। हम सब को रोजवेल की घटना तो पता ही है।  कहा जाता है की रोजवेल की दुर्घटना स्थल से मिले UFO यानि उड़नतश्तरी  मलबे को और एलियंस के शवों (कहा जाता है की एक एलियंस जिन्दा भी मिला था) अमेरिका ने अपने ख़ुफ़िया केंद्र 'एरिया 51' रखा था और आश्चर्य की बात तो देखिये अमेरिका ने अपने दो आवाज से तेज चलने वाले लड़ाकू विमानों की खोज भी इस जगह पर ही की !  क्या ये महज एक इत्तेफ़ाक़ है ? या फिर परग्रहीय शोधकर्ताओं के दावे में सचमे दम है। तय हमे करना है की हम किस बात को सच मानना है और किस बात को झूठा। लेकिन हमें पहले दोनों तरफ के दावों को समझना होगा क्यों की किसी एक विचार पर हम अपनी राय  नहीं बना सकते। हमें सच्चाई की तय तक पोहचना चाहिए।  लेकिन ये इतना भी आसान नहीं है।  क्युँ की हमारी कुछ मर्यादाएं है। हम उन सीमाओं के पार नहीं जा सकते।
                                                        आम आदमी तो अधिकतर हॉलीवुड की फिल्मो को देखकर एलियंस के बारे में अपनी राय बना लेते है।  लेकिन हम ये भूल जाते है  की ये फिल्मे काल्पनिक्ता की बुनियाद पर बनी होती है। हम कल्पनाओ को सच नहीं मान सकते। कल्पनाएँ कभी भी हमें सही जानकारी नहीं दे सकती। जानकारियाँ पाने का सही जरिया किताबे सकती है। अखबारों द्वारा जारी की जाने वाली खबरे प्रमाण हो सकती है। आज का दौर तो इंटरनेट का दौर है।  जहा कई साइटों पर एलियंस से जुडी जानकारियाँ भरी पड़ी है। कई लोग तो सिर्फ रोजवेल तक भटके पड़े है। लेकिन ये सिलसिला और भी पीछे यानि दो हजार साल तक पीछे  पहुँचता है। शोधकर्ताओं को इतिहास में कई ऐसी घटनाओ का पता चला है जब आकाश में लोगो ने अजीब तरह की चीजे या रोशनियाँ उड़ाती हुई देखि गई। जब प्रत्यक्षदर्शियों ने इन घटनाओ का ब्यौरा देते वक़्त स्पष्ट रूप से उनका वर्णन 'अज्ञात वस्तुएँ' ऐसा किया गया है। कई घटनाओ में या यु कहे ज्यादातर घटनाओ में ऐसे दृष्यों को धर्म और ईश्वर से जोड़कर देखा गया है। जिससे उनका स्वतंत्र कोई अस्तित्व ही नहीं रहा।  जैसे अगर आसमान में कोई चमकदार  रोशनी देखि गई तो उसे ईश्वर का चमत्कार मानकर उस घटना को दैवी रूप दे दिया जाता था। लेकिन कुछ घटनाएँ ऐसी भी थी जो इस बीमारी का शिकार नहीं हुई। इसी कारण हम पिछले दो हजार सालो से आसमान में उड़न तश्तरियो के देखे जाने पर प्रकाश दाल सके। भारत  उड़न तश्तरी दिखी होगी तो भी उस घटना को 'भगवान के दर्शन' के रूप में ही दर्ज किया गया होगा। क्यूँ की भारत में ईश्वरवाद की बीमारी दूसरे देशो की तुलना में ज्यादा गंभीर अवस्था में फैली हुई है। आज भी भारत के लोग परग्रहीय जोवो और उड़न तश्तरिओं के बारे में ज्यादा सजग नहीं है। उनके लिए तो ये विषय ही किसी दूसरे ग्रह का है। खैर कोई बात नहीं, हम भारतीयों को कोई नहीं सुधार सकता। वोह तो भला हो 'हॉलीवुड' देवता का जिनके कारन थोड़ी बहुत लोगो को इस विषय में जानकारी मिली है। वरना हमारी देसी फिल्मो को प्यार, सेक्स, धर्म, समाज, क्रिकेट और राजनीति से फुरसत कहा है ?और रही बात मिडिया की तो वोह तो उनसे भी बेहतर है। हम भारतीय हमारे देश को ही सारा विश्व समझते है और इस बात का हमे गर्व भी है।
                                                थोड़ा विषय से भटक गया था।  लेकिन ये बात भी कहानी जरुरी थी। अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशो की कई ऐसी गोपनीय संस्थाएं  सर्कार के लिए काम कराती है और जिन्हे सिर्फ परग्रहीयो जुड़े मामलो की जाँच करने हेतु गठित किया गया है। उनके अस्तित्व  बारे में सिर्फ चुनिंदा लोग ही जानते है। उन्हें सबकी नजरो से दूर रखा गया है। जैसे उनका कोई अस्तिव ही नहीं है। लेकिन ये संस्थाएं वाकई मौजूद है। सीतयुद्ध के दौरान अमेरिका में ऐसी एक सस्था का निर्माण किया गया था जिसका उद्देस सिर्फ एलियंस और उड़न तस्तरिओं जुडी घटनाओ की जाँच करना था। उस संगठन का नाम मैजेस्टिक-12 (MJ-12). अमेरिकी सरकार ने कई सालो तक इस संगठन के अस्तित्व को छुपाए रखा।     
        

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *