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मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

अप्रैल 30, 2019

एलियंस और हम भारतीय :भाग-2


               एलियन विज्ञान और तकनीकी लिहाज से हमसे कई आगे होनेके कारण हमारे हथियार और हमारी सेना उनका मुकाबला हरगिज नहीं कर सकते। आपको लगता होगा की शायद मै आपको बेवजह डरा रहा हु, लेकिन मेरी बातो में सच्चाई है। जरा सोचिये पहले जो UFO दिखाई देती थी उनकी तादाद कम थी। लेकिन धीरे-धीरे इनकी तादाद बढ़ने लगी। और अब तो वोह इंसानो का अपहरण भी करने लगे है। यूरोप और अमरीका में अब तक हजारो लोगोने एलियंस द्वारा अगवा किये जाने का दावा किया गया है। और खास बात ये है अमरीका की दो महत्वपूर्ण एजंसिया C. I . A  और F. B. I भी इन घटनाओ पर ध्यान दे रही है। इसी कारन इन घटनाओं को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। एक समय पर एक व्यक्ति झूठ बोल सकता है लेकिन बहोतसी घटनाओ में गवाहोका परिक्षण किया गया जिसमे ये साबित हो गया की वोह सच बोल रहे थे। खास बात ये है की इनमे सेना के अधिकारी , पुलिस और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।
                           UFO देखे जाने का दावा करने वालो में पायलट, हवामनशास्त्री, डॉक्टर, वकील ऐसे लोग भी शामिल है। क्या इन लोगो को भी भ्रम हुवा होगा ? कोई पायलट क्यों झूठ बोलेगा ? इस कारन अब हमे इस विषय को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। क्यों की ऐसी वारदाते हमारे देश में भी अब सामने आने लगी है। कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के चिखलदरा में लोगोने एलियंस देखे जाने की खबर दी थी। आगरा के ताज महल के ऊपर भी एक UFO को रिकॉर्ड किया गया था। और लखनऊ भी लोगोने अजीब रोशनी देखने का दावा किया था। पहले सिर्फ यूरोप और अमरीका में नजर आने वाले UFO अब एशिया में भी नजर आने लगे है। चीन से कई UFO की घटनाये सामने आई है। ईरान में तो ख़ुफ़िया तरीकेसे चलाये जाने वाले मिसाइल परीक्षण के दौरान उन्हें UFO दिखा।
                                  इस कारन भारतीय समाज को इस विषय की अहमियत को समज लेना चाहिए। हम कई बार रात के आसमान को देखते है। कभी कोई अनजान रोशनी दिखे तो अनदेखा करे। कई बार हम ऐसी रोशनियों को विमान,सैटेलाइट या टूटता हुवा तारा समजकर नजरंदाज कर देते है।  लेकिन वो शायद कोई यान भी हो सकता है। हमारे देश में हर साल हजारो लोग गुमशुदा होते है। कुछ तो मिल जाते है लेकिन कुछ का कभी पता नहीं चलता।  हो सकता है इन गुमशुदा लोगो में से कुछ एलियंस के अपहरण का शिकार हुए हो ? कुछ लोगोको ये बाते बेतुकी लगेकि लेकिन संभावनाओंको सिरे से नकारा नहीं जा सकता। क्यों की यूरोप और अमरीका में एलियंस द्वारा अगवा किये जाने का दावा करने वालोका आकड़ा दस हजार से भी ज्यादा है। तो ऐसे में इस बात की क्या गॅरेंटी है की एलियंस भारतीयों का भी अपहरण नहीं करते होंगे?
                                 अब जबकि वोह हमारे इतने करीब आ चुके है। ऐसेमे हमारा उनसे अनजान रहना हमारी  सबसे बड़ी बेवकूफी साबित होगी। क्यों की अग्यानता से बड़ा कोई शत्रु नहीं। अगर हमने इन अपरिचित मेहमानोकी के बारे में सजकता नहीं दिखाई तो इसके परिणाम भयानक हो सकते है. 

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

अप्रैल 20, 2019

एलियंस और हम भारतीय :भाग-1

                    हमारा ब्रम्हाण्ड बेहद विशाल है। इसकी सीमाओं की हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारी तो दूर की बात लेकिन हमारे सौरमंडल को चलाने वाले सूरज का स्थान भी इस ब्रम्हाण्ड में शुन्य है। हमने विज्ञान में बेहद तरक्की कर ली है। लेकिन विज्ञान भी इस ब्रम्हाण्ड की पहेली को समझने में कम पड़ रहा है।  इसका कारण है, ब्रम्हाण्ड का विशाल आकार। हम आज भी इस ब्रम्हाण्ड के विकास और विस्तार के बारेमे कोई ठोस जवाब नहीं दे सकते। हम ये भी नहीं बता सकते की इस ब्रम्हाण्ड में हम है कहा। पृथ्वीपर पर हम अपना सही स्थान बता सकते है, लेकिन ब्रम्हाण्ड के बारे में हम अभी भी अग्यात है।
                   बीसवीं सदी को औद्योगिक क्रान्ति का युग कहा गया। वैज्ञानिकोने कई चमत्कारिक चीजोंकी खोज इस सदी में की। समाज के विकास के साथ-साथ विनाश भी इसी सदी में घटित हुवा। दो महायुद्धों को दुनियाने इसी सदी में देखा। इसी सदी में UFO ने दुनियाभर धूम मचा दी। पश्चिमी देशो में समाज, सेना और सरकार इन तीनो पर UFO की घटनाओ का असर पड़ा। UFO देखने का दावा करने वालो की तादाद बढ़ती ही जा रही थी। अखबारों को मसालेदार खबरे मिल रही थी। इनमे सरकार और सेना को शक की नजर से देखा जाने लगा। लेखकों के हाथ भी एक दिलचस्प विषय लगा था। एलियंस पर बड़े पैमाने पर किताबे लिखी गई। फिर भला सिनेमा जगत इसमें कैसे पीछे रहता ? हॉलीवुड में एलियंस पर कई फिल्मे बनाई गई। कुछ फिल्मो में एलियंस को अच्छा तो कुछ में खलनायक दिखाया गया। इस प्रकार एक गंभीर विषय को मनोरंजक बना दिया गया। उस समय अगर कोई भी विचित्र घटना घटती तो उसे एलियंस से जोड़ कर देखा जाता। अनेक लोग सामने आये जिन्होंने खुद एलियंस का संशोधक कहा। पश्चिमी देशो में भूचाल लाने वाले इस विषय से लेकिन भारत कोसो दूर था। भारतीयोंको इस विषय का परिचय 21 सदी में हुवा। 20 सदी के अंत में कुछ भारतीय लेखकों ने इस विषय को लोगोके सामने रखा, लेकिन इस विषय को लेकर भारतीयों को खास रूचि नहीं थी। 2003 साल में आई हिंदी फिल्म "कोई मिल गया" ने भारतीयोंको एलियंस से परिचित करवाया।
                          एरिख डेनिकेन इनकी मशहूर किताब हो या 1947 की रोजवेल की घटना हो या 'सेटी' को मिला हुवा 'WOW' संदेश, इन सब से आज भी बहुसंख्य भारतीय अंजान है।  जब की पश्चिमी देशो में ये घटनाये मशहूर है। आम लोग इनके बारेमे जानते है।
                               अफ़सोस इस बात का है की आज भी भारतीयोमे इस विषय को लेकर दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालो से मै इस विषय पर काम कर रहा हु। इतने सालो में इक्का-दुक्का लोग ही मुझे मिले है जो इस विषय पर मुझसे चर्चा की। बाकि बचे सबने मेरा मजाक उड़ाया। लोग राजनीती पर बात करते है,धर्म पर बात करते      है,फिल्मो पर बात करते है, क्रिकेट पर बात करते है, लेकिन एलियंस के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। अगर किसीको बताने जाओ तो कहते है की "इस बात से हमारा क्या लेना-देना?" उन्हें इस विषय की गंभीरता का एहसास नहीं है। एलियंस का आगमन हमारे लिए कितना खतरनाक हो सकता है इस की चेतावनी मशहूर वैज्ञानिक डॉ स्टीफेन हॉकिंग दी ही है। अगर एलियंस धरतीपर आते है तो उनका इरादा धरतीपर कब्ज़ा करना ही होगा और हमे तब उनका गुलाम बनाना पड़ेगा।

इसके आगे की चर्चा, इसी लेख की अगले भाग में   

रविवार, 14 अप्रैल 2019

अप्रैल 14, 2019

वेलैंसोल UFO, फ्राँस (1965)


1 जुलाई 1965 को फ्राँस के दक्षिण-पूर्व एल्स-डे-हाउते-प्रोवेन्स के वेलैंसोल में रहने वाले एक किसान मौरिस मास्से के साथ हुई ये घटना है। दरसल उस दिन मास्से सुबह 5.45 को अपने खेत की और जा रहा था। तभी उसे खेत के अंदर से एक विचित्र आवाज सुनाई दी। जब वह आवाज की दिशा में आगे बढ़ा तो उसे वहा  एक बड़ा अंडे के आकर का यान दिखाइ दिया। जिसके पास ही दो छोटे कद वाले विचित्र जिव थे। उन मे से एक ने जब मास्से को अपनी और आते देखा तो उसने अपने हाथ में एक यंत्र को मास्से की और किया और इसके बाद मास्से पूरी तरह से स्तब्ध हो गया। उसके पुरे शरीर को जैसे लकवा मार गया था। वो बिलकुल भी हिल नहीं पा रहा था।
      बादमे वे छोटे कद वाले जिव जल्दी से अपने यान में चढ़कर वहा से चले गए। उनके जाते हि मास्से का शरीर सामान्य हो गया। जब वह उस जगह जाता है जहा पर यान उतरा था, तो उसे वहा उस यान द्वारा छोड़े गए निशान साफ दिखाइ देते है। रात करीब 8.30 बजे मास्से अपनी बेटी के साथ घटना स्थल पर दुबारा जाता है। तब उन्हें इस बात का एहसास होता है की वहा की जमीन सिमेंट की तरह सख्त हो चुकी है। यह बात आग की तरह पुरे इलाके में फ़ैल जाती है। पुलिस को इस बात की खबर मिलते ही वोह भी घटना स्थल पर पहुँच जाते है और वहा की जाँच करते है। उन्हें वहा पर कई निशान मिलते है।       

शनिवार, 13 अप्रैल 2019

अप्रैल 13, 2019

बोयसेन्स UFO, दक्षिण अफ्रीका (2010)


जुलाई 2010, इस महीने दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया के बोयसेन्स के निवाशीयोने लगातार दो दिन तक लगातार आसमान में अग्यात रोशनियाँ देखी। दोनों ही दिन यह रोशनियाँ सूर्यास्त के कुछ समय बाद रात 8.30 बजे तक आसमान में स्थिर दिखाई दी। 8.30 के बाद ये रोशनियाँ क्षितिज पर धीरे-धीरे निचे जाते हुए गायब हो गई।
 प्रत्यक्षदर्शी लोगो ने बताया की वो इस अग्यात वस्तु के आकार को समझने में वे लोग असमर्थ रहे। लेकिन उनका अंदाजा था की वोह शायद त्रिकोणी आकार का रहा होगा। 19 साल के 'वॅन डेर स्पाय' ने अपनी दूरबीन से देखने की कोशिश की लेकिन उसे भी इस वस्तुके आकार का पता नहीं चला। लेकिन जिस प्रकार की उन रोशनियों की संरचना थी, लोगोने अंदाजा लगाया की वह त्रिकोणी आकार का होगा। वह रोशनियाँ अलग-अलग रंग की थी. नीला, पीला और सफ़ेद रंग की।
   इस घटना पर जब स्थानिक पुलिस और दक्षिण अफ्रीका की वायु सेना से पूछा गया तो वोह इस बारेमे कोई भी जवाब देने में असमर्थ रहे। उन्हें खुद ही नहीं पता था की उस रात आसमान में आखिर था क्या ?

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

अप्रैल 10, 2019

ऐल्डर्न UFO की घटना (2007)


  कॅप्टन 'रे बाउयर' एक अनुभवी पायलट थे। उन्हें उड़ान का 18 साल का अनुभव था। और पिछले 8 साल से वह रोजाना की 45 मिनट की फ्लाइट उड़ा रहे थे। ये उड़ान उनके रोजाना के काम का हिस्सा थी। लेकिन 23 अप्रैल 2007 की उड़ान रोज की तरह सामान्य नहीं थी। वह उड़ान उनके लिए एक अदभुत अनुभव दे गयी जिसे वोह कभी नहीं भूल पाएंगे।
     23 अप्रैल 2007 को कॅप्टन रे दो यात्रियों के साथ दक्षिण इंग्लैंड के ऐल्डर्न से फ्रांस के 16 KM दूर स्थित चनैल द्वीप समूहों की और जा रहे थे। अचानक उन्होंने आसमान में दो विशाल आकर के सुनहरे रंग के 2 UFO को देखा। वोह उन विशाल आकर के UFO को देखकर डर गए। वोह उनसे दूर ही रहना चाहते थे।  यह अनुभव पायलट और उनके दोनों यात्रियों के लिए डरावना था।  उस दिन और एक पायलट का उन UFO से सामना हुवा था।
  जब रडार के रिपोर्ट जाँचे गए तो उसमे भी यह बात साफ हो गयी वहा सच में कुछ था।  यह पुख्ता सबूत है इस बात का की कॅप्टन रे ने सच में UFO देखा था।

मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

अप्रैल 09, 2019

ओ'हारे अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर UFO के दर्शन (2006)


                                        7 नवम्बर 2006 को शिकागो के ओ'हारे हवाई अड्डे के कर्मचारीयो ने UFO देखने का दावा किया।
                                                               सूत्रो के मुताबिक सबसे पहले उस UFO को एक रैम्प कर्मचारी ने देखा। उसने इस बात से बाकि कर्मचारियों को अवगत कराया। ना सिर्फ कर्मचारियों ने बल्कि हवाई अड्डे के आस-पास कई आम लोगोने भी इस घटना को देखा। वह UFO वहापर लगभग 5 मिनट तक दिखाई दिया। हलाकि इस घटना की कोई तस्बीर नहीं सामने आई। लेकिन जो इस घटना के गवाह थे, वे खुद विमान कर्मचारी थे। इस कारन इस घटना की सत्यता पर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती।
                                                              लेकिन हर बार की तरह इस बार भी अमरीकी एजेंसियों ने इस घटना को सिरे से नकार दिया की उस दिन हवाई अड्डे पर जो देखा गया वह एक UFO था। उन्होंने कहा की वह एक मौसम की खराबी का नतीजा था। लेकिन यहाँ पर एक सवाल खड़ा होता है की जो पायलट सालो से विमान उड़ा रहे हो, जिन्हे मौसम की अच्छी खासी जानकारी हो, क्या उन लोगोकी आँखे सच में धोका खा सकती है ? या फिर उन्हें जान बूझकर झूठा साबित किया जा रहा है ? मुझे नहीं लगता की विमान कर्मचारियों को कोई धोका हुवा होगा। 

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