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बुधवार, 15 मई 2019

क्या हम एलियंस है ? भाग-2, विषय- नर और मादा शारीरिक संरचना

                                                             धरतीपर रहने वाले अगल-अलग जीवोंको सहवास के लिए, अपने साथी को आकर्षित करने के लिए कुदरत ने कुछ खूबियोसे नवाजा है। जैसे मादा मोरनी को आकर्षित करने के लिए नर मोर को रंगीन पंख दिए है। मादा शेरनी को आकर्षित करने के लिए नर शेर की गर्दन पर बालो का घेराव है। कुदरत ने हर जानवर को ऐसी खाशियाते दी है। इंसानो को भी ये खाशियाते मिली है। धरतीके सभी जीवो में ये खाशियाते नर को दी गयी है ताकि वोह मादा को आकर्षित कर सके, लेकिन इंसानो के मामलेमे ये नियम उलटा पड़ गया है। इंसानोमे में मादा को ये खाशियाते मिली है नर को आकर्षित करने  लिए। आखिर इंसानोंके मामलेमे ये बाजी उलटी कैसे हो गई ? ये बोहोत बड़ा रहष्य है। बाकि जनवरोकि तुलना में इंसानी नर और मादा इन दोनों की शारीरिक रचना में  बोहोत ज्यादा अंतर है। दोनों के शरीर का आकार, शरीर के ऊपर बालो का प्रमाण, चलनेका तरीका, आवाज ऐसी बोहोत सी बातो में अंतर है। दूसरे जानवरो की तुलना में ये अंतर कुछ ज्यादा ही है। बाकीके जानवरो की बात तो बोहोत दूर जिन्हे हम अपना रिश्तेदार कहते है उन वानर परिवार में भी ये विशेषताएं पायी नहीं जाती। इंसानो में पुरुषोंको दाढ़ी आती है लेकिन औरतो को दाढ़ी नहीं आती। लेकिन जिस वानर परिवार के हम सदस्य कहलाते है उनके नर और मादा के चहरे में ये विशेष अंतर देखने को नहीं मिलता। अब इसे क्या चमत्कार कहेंगे क्या ? और कितने दिन हम ये दावा करेंगे की वनरोसे ही हमारा विकास हुवा है।
                                                                 इंसानो में ये शारीरिक बदलाव बाहर से तो है ही साथ में अंदर से भी है। शारीरिक सामर्थ पुरुषो का  स्त्री यो के मुकाबले ज्यादा है। दोनों के दिमाग के आकार में भी अंतर है। ऐसे में मन में ये भावना उठती ही है की इंसानो का कोई 'निर्माता' जरूर होना चाहिए। विकास एक प्रक्रिया है जिसके कुछ नियम है। लेकिन इन नियमो में इंसान क्यों नहीं बैठता ? लगभग सोला करोड़ साल धरतीपर राज करके भी डायनोसॉर्स बुद्धिमान जीव नहीं बन पाए। लेकिन पिछले पांच लाख सालो विकशित हुवा मानव आज मंगल ग्रह पर अपने यान भेज रहा है। जैसे इंसानोंके विकास को किसीने जान बूझकर गति दी हो। इंसानो का विकास धरतीके बाकि जानवरो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तेजीसे हुवा है। आखिर विकास की ये रफ़्तार सिर्फ इंसानो में ही क्युँ है ? बाकीके जीवो में क्युँ नहीं ? इंसानोंके विकास की ये रफ़्तार आज भी जारी है। 

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