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बुधवार, 8 मई 2019

"ईश्वर" रचयिता या शैतान ?

                               धरतीपर रहने वाले सभी जीवोमेसे सिर्फ इंसान ही ईश्वर इस संकल्पना से जुड़ा है। इंसान शुरू से ही रहश्य के पीछे भागता रहा है। शुरवात के दिनों में जब मानव आदिम अवस्थासे बाहर आ रहा था तो उसके दिल में आसपास प्रकृतिमे घटने वाली घटनाओ को देखकर उसके मन में सवाल जागते थे की आखिर ये घटनाये क्यों होती है ? इनके घटने का कारण क्या होगा ? जैसे की बरसात में बिजली का चमकना, ये भी इंसान के लिए किसी चमत्कार से काम नहीं था। फिर आगे चलकर इस सवाल पर उसने सोचा की शायद इन प्रकृति को चलने वाली कोई दिव्य शक्ति होगी और इसी शक्ति को उसने 'ईश्वर' का नाम दिया। शुरवात में तो मानव प्रकृति की ही पूजा करते थे। इनमे नदिया, पहाड़ ,पेड़ ये सब थे। अब तक तो सब ठीक चल रहा था। लेकिन आगे चलकर इस बीमारी ने भयानक रूप ले लिया। अब वोह ईश्वर जिसे मानव प्रकृति के रूप में पूजता था उन्हें मूर्ति रूप पूजे जाने लगा। और हद तो तब हुई जब इस ईश्वर ने इंसानो के बिच मानव रूप में जन्म लेकर चमत्कार दिखाए और नए धर्म और निति-नियमो का निर्माण किया। और आज तक उनका कड़ा पालन इंसान करता आया है। मगर सवाल ये खड़ा होता है की ये ईश्वर आया कहा से ?
                              आज दुनिया के 80 फीसदी लोग किसीना-किसी धर्म को मानते है। सबका अपना अलग एक ईश्वर है। अपने अगल धर्म-ग्रंथ है जिन में उनके ईश्वर के उपदेश और नीति-नियम है। सभी दावा करते है की उनका धर्म ही सच्चा है और उनका ईश्वर ही सरे विश्व का निर्माता है। लेकिन कोई एकदूसरे से मेल नहीं खाते। सभी धर्मो के ईश्वर दिखते अलग-अलग है। उनकी भाषाए अलग-अलग है। उन्होंने जो बाते कही या उन्होंने जो नियम बनाये वोह भी अलग-अलग है। अगर सारे विश्व का निर्माता अगर एक ही है तो फिर ये भिन्नताएं क्यूँ ? और अगर सारे विश्व का वोह निर्माता है तो बाकीके प्राणी उसी पूजा क्यों नहीं करते ?
हम जिस हवा में सास ले रहे है, वोह भी उस हवा में सास ले रहे है। हम जो पानी पि रहे है वोह भी वही पानी पि रहे है। कही भी कुदरत ने ऐसा कोई पक्षपात नहीं किया है जो उन्हें दिया वोह हमे न दिया हो। इसपर धार्मिक लोगोका जवाब आता है की हमे 'ईश्वर' ने बुद्धि दी है जो हमे दूसरे जनवरोंसे अलग बनती है। और इसी कारण हमे ईश्वर के अहसानमंद होना चाहिए। मै इस बात को मानता हु की इंसानोको बुद्धि का बहुमूल्य वरदान मिला है। लेकिन क्या इसमें सच में उस ईश्वर की कोई भूमिका रही थी जिन्हे हम आज पूजते है ? या फिर वोह कोई और थे ?
                                 ये मेरा मानना है की हमारे विकास में एलियंस का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये बात तो साफ है की हमे आज जो तरक्की हासिल हुयी है उसमे किसी बाहरी शक्ति ने जरूर सहाय्यता की थी। वरना हम आज भी जंगलो में पेड़ो पर लटक रहे होते। 'एरिक वोन डेनिकन'  दुनिया भर में घुमाकर इस बात के सबूत खोज निकाले है की हमारे अतीत में एलियंस आ चुके है और उन्हेही हम ईश्वर कहते है। दोस्तों मैंने इस लेख के शुरवात में ही आपसे कहा था की जो बाते मनुष्योंको अद्भुत लगाती उनमे मानव चमत्कार देखता और उन्हें ईश्वर से जोड़ता था। जब एलियंस धरतिपर आए होंगे तो उन्हें देखकर इंसान अचंभित हो गए होंगे। उनके हवामे उड़ने वाले यान, उनसे निकलने वाली रोशनियाँ। ये सब मानव की कल्पना के बाहर था। उसने जो देखा उसे चमत्कार ही लगा। और उसने एलियंस को भगवान समझ लिया। दोस्तों शायद आप लोगोको बुरा लगा होगा की मै ये क्या कह रहा हु ?
                                 ऊपर जब मैंने धर्म के लिए 'बीमारी' शब्द का प्रयोग किया तो शायद आपको बुरा लगा हो लेकिन मै इसकी वजह आपके सामने रखने जा रहा हु। दोस्तों एक ब्रिटिश मनो-वैज्ञनिका ने दावा किया था की "ईश्वर" एक बीमारी है जो पीढ़ी-दर पीढ़ी आगे बढ़ती जाती है। उसके इस दावे पर अमरीका के वैज्ञानिको परिक्षण करने की ठानी। दोस्तों आपको तो पता ही है की हमारे दिमाग के कई अलग-अलग हिस्से है और हर हिस्से का अपना एक काम है। वैज्ञानिको फिर उस हिस्से को खोज निकाला जो "धर्म और ईश्वर" से जुड़ा है। एक सामान्य व्यक्ति को प्रयोग के लिए बुलाया गया। उसे एक खुर्ची पर बिठा दिया गया। उसे बेल्ट  सहायता से कसकर बांधा गया। फिर उसके सर पर कोड्स लगाए गए और दिमाग के उस हिस्से में जो "ईश्वर और श्रद्धा" का संचालन करता है ,उसपर इलेक्टो-मैग्नेटिक पल्स छोड़े गए और तब वोह हुवा जिसकी किसीने कल्पना भी नहीं की थी। अच्छा हुवा उसे खुर्सी से बांधा हुवा था। जब  इलेक्टो-मैग्नेटिक पल्स उसके दिमाग में पोहचे तो वोह आदमी अचानक पागलो की तरह चिल्लाने लगा " मेरे सामने जीजस क्राइस्ट प्रकट हो गए है " (क्यों की वह इंसान एक क्रिस्चन था और उसकी जीजस में श्रद्धा थी इसी कारन जीजस, अगर उसकी जगह कोई और धर्म का व्यक्ति होता तो शायद कोई और भगवान प्रकट होते ) दोस्तों मैंने पहले भी अपने एक लेख में कहा था की इंसानोंके DNA के साथ किसी  छेड-छाड की हुयी है।  इसी कारन पूरी धरती पर सिर्फ हम ही इस बीमारी के शिकार हुए है। लेकिन आप सोंचेंगे की आखिर इससे एलियंस का क्या फायदा, या  उन्हें ये सब करके क्या हासिल होगा। चलो मै आपको एक उदहारण देकर समझाता हु। अगर एलियंस को धरतीपर अपना कब्ज़ा करना हो तो उन्हें क्या करना पड़ेगा ? कुछ भी तो नहीं। क्या आप नहीं समझे सोचिये की अगर एलियंस धरतीपर अपनी एडवान्स तकनीक के चलते "जीजस" के रूप में किसी एलियंस को दुनिया के सामने प्रकट करे, जो हवामे उडाता हो, जो किसी सभी किसिस और चीज में बदल देता हो, जो मुर्दो को जिन्दा कर दे तो पृथ्वीपर रहने वाले करोडे ईसाई उसकी शरण में चले जायेंगे। उसे कुछ भी नहीं करना पड़ेगा और साडी मानवता उसकी गुलाम हो जाएगी। अब कुछ बात सबझ आयी ?
                             हमारा ईश्वर को मानना हमारे लिए वरदान नहीं बल्कि हमारे खिलाफ रची एक बड़ी साजिश का नतीजा हो सकता है।

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