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बुधवार, 1 मई 2019

क्या एलियंस इंसानों के रचयिता है ? भाग-1, विषय-भाषा


                               डार्विन का सिद्धांत हमे बताता है की धरतीपर रहले वाले बाकि जीवो की तरह इंसान भी उत्क्रांतिका(Evolution) एक फल है। लेकिन ऐसी कई बाते है जो इंसान को धरतीपर रहले वाले बाकि जीवो से अलग कराती है। ये बाते उत्क्रांति में विकशित हुए दूसरे जीवो से मेल नहीं खाती। उन सभी विशेषताओं के बारे में हम एक-एक करके चर्चा करते है।
1) भाषा :- पृथ्वीपर रहने वाले किसी भी प्रकार की जीवो में संवाद की इतनी प्रभावशाली विशेषता विकशित नहीं हुई, सिवाय इंसानों के। लेकिन इंसानोने न सिर्फ बातचीत के लिए भाषा का उपयोग किया बल्कि इसका इस्तेमाल करके साहित्य की रचना भी की। भाषा का इंसानोंके विकास में सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा। भाषा के कारण ही सभ्यताओं का विकास हुवा।
                                       इसमें दिलचस्प बात ये है की धरतीपर रहने वाले सारे दूसरे जीव एकदूसरेसे संपर्क बनाने के लिए जिन अवाजोका इस्तेमाल करते है या यु कहे की उनकी जो भाषा है वह सभी जगह पर एक ही है। उदहारण के तौर पर किसी कुत्ते को लीजिये अफ्रीका में रहने वाला कोई कुत्ता हो या अमेरिका में, दोनोके भोकने ने  का आवाज और उसका मतलब दोनों जगह के जीवो के लिए एक सामान ही होगा। लेकिन इंसानोंके लिए ये नियम लागु नहीं होता। हर एक प्रान्त की भाषा अलग है, उसे बोलने का तरीका अलग है। शब्दों की रचना बदलते ही भाषा बदल जाती है उसका अर्थ बदल जाता है। और एक बात भाषा के लब्ज और उनका इस्तेमाल भी हमेशा एकजैसा नहीं रहता। हर सौ सालो में भाषा के ढांचे में बड़ा बदलाव होता है। उसे एक नया रूप मिल जाता है। लेकिन जब हम दूसरे जनवरोके बारे में देखते है तो हमे ऐसा कोई बदलाव देखनेको नहीं मिलता। सौ साल पहले कुत्तो के भोकने और आज के भोकने में कोई बदलाव नहीं आया है।  आखिर ऐसा क्यों ? लगभग दस हजार सालो पहले हम ने कुत्तो को पालना शुरू किया। पिछले दस हजार सालो में इंसानो की बौद्धिक क्षमता हैरतंगेज रूपसे बढ़ी है। लेकिन इंसानो के साथ रहकर कुत्तो में ये बदलाव क्यों नहीं हुवा ? बस इतना बदलाव हुवा है की वह अब इंसानो के साथ घुलमिल गए है।
                                    ये एक रहश्य है की धरतीपर रहने वाले सिर्फ इंसानोको ही ये कुदरत की देन मिली है। क्या ये कुदरत के पक्ष्यापात का उदहारण है ? या ये इनसानोको दी हुयी एक देन है जो उसे किसी और ने दी है ? कई प्राचीन ग्रंथो में भाषा को रचयिता की देन कहा गया है। लेखोके मुताबिक उनके देवता भी उसी भाषा का इस्तेमाल करते थी जिन भाषाओंमे प्राचीन ग्रंथो की रचना की गई। आश्चर्य की बात है की जब ईश्वर सारी सृष्टि की रचना की तो उसने संवाद के लिए सिर्फ  इंसानो की ही भाषा का इस्तेमाल किया। बाकि जीवोंका वजुद उसके लिए कोई मायने नहीं रखता था। और इसमें में भी एक और रहश्य है की दुनियाकी लगभग हर सभ्यता में ईश्वर ने उनसे बात की थी। जिस भाषा में ये बाते हुयी उन्ही भाषाओमे उनके ग्रंथो को लिखा गया। लकिन सभीके देवताओ की भाषा अगल अलग क्यों है ? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। हर कोई कहता है की उनका ईश्वर की सारी मानव जातिका रचयिता है। लेकिन उनकी भाषाएँ मेल नहीं खाती, उनकी कहानियाँ मेल नहीं खाती।
                                 मेरा यह मानना है की हमारे भूतकाल में हमारे बिच जो हमारे ईश्वर रहते थे, दरसल वह एलियंस ही थे लेकिन। धरतीपर अलग अलग जगहों पर एलियंस की अलग अलग प्रजातियोने इंसानो के साथ सम्पर्क बनाया था। इसी कारण सबकी भाषाओंमे इतना अंतर है। कई एलियंस द्वारा अपहरणग्रस्त लोगोने दवा किया है की उनके साथ एलियंस ने प्राचीन भाषाओं में बात करने की कोशीश की थी। आखिर एलियंस को ये प्राचीन भाषाएँ किसने सिखाई ? कही ऐसा तो नहीं की उन्होंने ही हमे ये भाषाएँ शिखाई थी ? 
इस लेख की अगले भाग में हम चर्चा करेंगे "धर्म और श्रद्धा " पर .

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