Breaking

मंगलवार, 14 मई 2019

क्या हम एलियंस है ? भाग-1, विषय- सिर के बाल

                                                                      क्या सच में हम इस ग्रह के मूल निवाशी है ? या कही ऐसा तो नहीं की हमारी उत्पत्ती किसी और ग्रह पर हुई हो और बादमे जान बूझकर हमे इस ग्रह पर पनपने के लिए छोड़ दिया गया ? आप को शायद ये सवाल अजीब लग रहे होंगे। क्युँ की बचपन से हमे स्कूल में यही सिखाया जा रहा है की हमारी उत्पत्ती वानरों से हुई है। लेकिन क्या सच में ऐसा ही हुवा था ? हम कई सालो से डार्विन के इस सिद्धांत पर आँख मूंदकर भरोसा कर रहे है, लेकिन वोह शत-प्रतिशत खरा है इसका कोई प्रमाण दे सकता है क्या ? डार्विन का ये सिद्धांत धरतीपर रहने वाले बाकि जीवों पर भलेही पूर्णतः लागु होता हो लेकिन इंसानो के ऊपर इस सिद्धांत को लागु करने पर कुछ सवाल खड़े होते है। जिनका कोई जवाब सिद्धांतकारियो के पास नहीं है। ये सवाल है इंसान की शारीरिक संरचना के बारे में, जो धरती के किसी भी और जीव से मेल नहीं खाते। इस कारण एक विरोधाभास बन गया है। मै आपको बताने जा रहा हु इंसानी शरीर की वोह विशेषताएं जो धरतीके किसी भी और जिव में पाई नहीं जाती।
1 ) सिर के बाल :-     सारि धरतीपर इंसान ही एकमात्र ऐसा जीव है जिसके सिर के बाल लम्बे होते है। आप सोच रहे होंगे की इसमें कौनसी बड़ी बात है ? जरा सोचिये की धरतीपर रहने वाले सभी जीवों के शरीर के किसी भी हिस्से के विकास के पीछे कोई न कोई वजह है।  लेकिन इंसानोंके लम्बे बालो के पीछे क्या वजह है ये तो खुद वैज्ञानिको भी पता नहीं है। और सबसे अहम बात तो ये है की अगर हमारे पूर्वज वानर थे तो वानर परिवार के बंदर, चिम्पांजी या गोरिला इनमेसे किसी के भी सिर के बाल लम्बे क्युँ नहीं ? सिर्फ इंसानो के ही क्युँ है ? खास बात तो ये है की सारि पृथ्वीपर इंसान ही एकमात्र जीव है जिसके सिर के बाल लम्बे होते है। डार्विन के सिद्धांत के मुताबिल हमारा विकास वनरोसे हुवा। जैसे-जैसे विकास की प्रक्रिया आगे बढाती गई, इंसानी शरीर में कई बदलाव हुए। पहले हमारे सारे शरीर पर घने बाल थे, लेकिन बादमे धीरे-धीरे कम होते गए। लेकिन हमारे सिर के बाल ही कम होनेके बजाय बढ़ते क्युँ गए ? इस सवाल से सारे वैज्ञानिक भी हैरान है।  उनके पास भी इसका कोई जवाब नहीं है।
                                                       और एक मजेदार बात ये है की कुछ लोगोके सिर के बाल झड़ ने कारन वोह गँजे होते है,  खाशियत भी सिर्फ इंसानो में ही पाई जाती है। इंसान के रिस्तेदार ( डार्विन के सिद्धांत के अनुसार ) कहे जाने वाले बंदर , चिम्पांजी और गोरिल्ला इन तिनोमे भी ये गुण बिलकुल भी नहीं है। ये बालो का वरदान आखिर इंसानो को मिला कहासे और कैसे ? ये एक रहस्यमयी बात है। एक तरह से ये उत्पत्ति के चरणों में हुवा चमत्कार है। लेकिन इस चमत्कार की वजह का अभी तक पता नहीं चला है। इस से जुड़ा एक दावा सामने आया था की इंसानोंके पूर्वज जी ग्रह पर रहते होंगे वहा सूरज की तेज धुप पड़ती होंगी। जिससे बचाव के लिए सर पर लंबे बाल विकसित हो गए होंगे। और उसी ग्रह से ये विशेषता हमारे साथ धरतीपर चली आई होंगी। मेरा तो यह मानना है की ये पुख्ता सबूत है इस बात का की इंसानो के विकास में एलियंस का हस्तक्षेप रहा था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for Comment

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *