इंसानो का विकास के शुरुवाती दौर से ही संगीत के साथ लगाव रहा है। संगीत को इंसान ने अपनी जिंदगीका एक हिस्सा बना दिया है। इंसानोने धर्म और ईश्वर से संगीत को जोड़कर अपनी उपासना में भी संगीत को शामिल किया है। विकशित शहरी समाज हो या अविकसित आदिवासी कबीले दोनोंही संगीत को चाहते है। इंसान संगीत का इस्तेमाल खुशी ज़ाहिर करनेका जरिया, ईश्वर भक्ति में लीन होनेका जरिया, एकजुट होकर कोई त्यौहार मनानेका जरिया ऐसी कई बातोमे करता है। इन बातोमे सगीत का अपना अलग ही स्थान है। इंसानो को मिली ये एक अदभुत देन है। इंसानोंको छोड़कर और किसी भी जिव में ना तो संगीत की चाह है या इसका ज्ञान। आखिर इंसानोने ये आनंद की तरंगे कहाँसे खोज निकली ? इस सवाल का कोई ठोस जवाब इतिहास के जानकारों के पास नहीं है। बस सब ने अपनी और से बस कुछ संभावनाएं जताई। लेकिन संभावनाएं किसी सवाल का जवाब नहीं हो सकती।
संगीत इंसान दिमाग पर संमोहन जैसा प्रभाव डालता है। ये एक तरह का जादू है। कभी कबार अगर हमारा मूड अच्छा हो और अगर हम कोई दुःखद गाना सुनते है तो हमारा मन भी निराश होने लगता है। तो कभी कबार अगर हम निराश हो और अचानक कोई मनपसंद गाना लग जाये तो मन हलका हो जाता है। कुछ गाने हमे प्रेरणा देते है। इंसानोंके दिल-दिमाग पर होने वाला संगीत का असर सच में जादुई है। लेकिन हमे ये जादू मिला कैसे ? कही संगीत भी उन एलियंस की ही देन तो नहीं जो हमारे अतीत में हमसे मिले थे ? जिन्हे हम ईश्वर के रूप में देखा गया था। दुनिया की हर प्राचीन सभ्यताओं में संगीत के देवता का जिक्र है। क्या ये महज इत्तेफ़ाक़ है ?
संगीत इंसान दिमाग पर संमोहन जैसा प्रभाव डालता है। ये एक तरह का जादू है। कभी कबार अगर हमारा मूड अच्छा हो और अगर हम कोई दुःखद गाना सुनते है तो हमारा मन भी निराश होने लगता है। तो कभी कबार अगर हम निराश हो और अचानक कोई मनपसंद गाना लग जाये तो मन हलका हो जाता है। कुछ गाने हमे प्रेरणा देते है। इंसानोंके दिल-दिमाग पर होने वाला संगीत का असर सच में जादुई है। लेकिन हमे ये जादू मिला कैसे ? कही संगीत भी उन एलियंस की ही देन तो नहीं जो हमारे अतीत में हमसे मिले थे ? जिन्हे हम ईश्वर के रूप में देखा गया था। दुनिया की हर प्राचीन सभ्यताओं में संगीत के देवता का जिक्र है। क्या ये महज इत्तेफ़ाक़ है ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you for Comment