अब सबसे आखरी और अहम विशेषता के बारे में हम बात करेंगे, और वोह है "जिज्ञासू मन"। इसी विशेषता के आधार पर सारी मानव जातिका विकास हुवा है। अब तक हमने जो विशेषताएं देखि जिनमे संगीत, धर्म और श्रद्धा, भाषा और रचनात्मकता ये सारी जिज्ञासू मन की ही संताने है। इंसान के मन में उठाने वाले सवाल और उन सवालों के जवाब खोजने की महत्वाकांक्षा ने ही इंसान के विकास की काया की पलट दी। इसी विशेषता ने हमे धरतीके सभी जनवरों से अलग कर दिया। इंसानो के मन में शुरवात से ही उसके आस-पास घटने वाली घटनाओ के प्रति कौतूहल रहा है। इस कौतूहल से उठने वाले सवाल इंसानो को प्रेरित करते रहे है।
प्राचीन इतिहास में अगर हम देखे तो शुरवात में आदिमानवो को आग के प्रति कौतूहल था। शुरवात में जब जंगल में आग लगती थी तो हमारे पूर्वज भी बाकी जानवरो की तरह उससे डरकर दूर भागते थे। लेकिन एक बार हुवा यु की एक बार जब जंगल में आग लगी तो उसमे कुछ जानवर बुरी तरह झुलस गए जिनकी आदिमानव शिकार किया करता था। जब आदिमानव आग बुझाने के बाद जंगल में गया तो उसे शिकार के लिए कुछ भी नहीं मिला। आग के कारन जानवर भाग गए थे और बाकि बचे झुलस कर मरे हुए थे। आदिमानव ने मजबूरन उन झुलसे हुए जानवरों को खाने का फैसला किया। और जब उन्होंने उस झुलसे हुए जनवरो के मांस को खाया तो उसे वोह स्वादिष्ट लगा। अब तक जो कच्चा मांस वोह खा रहे थे उससे बेहतर आग में भुना हुवा मांस होता है ये बात इंसान को पता चली। यहि से आदिम इंसानों के मन में आग के प्रति आकर्षण निर्माण हुवा। इसी आकर्षण के कारण इंसानों के पुर्वजोने आग पर काबू पाना सिखा। ये घटना इंसान के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना है।
अगर इंसानो में जिज्ञासू मन ना होता तो आग के प्रति उसके मन में कौतूहल ही नहीं जागता और बादमे हमारे विकास के आगे के चरण भी पुरे नहीं हो पाते, जिसपर हमारे आज के विकास की नीव खड़ी है। इसी कारण ये हमारे दिमाग की सबसे अहम विशेषता है। लेकिन धरतीपर करोडो सालो के दौरान अनगिनत प्रजातियां विकसित हुई, लेकिन सिर्फ इंसानो के अंदर ही ये विशेषता पूर्ण रूप से विकशित हुई। आखिर ऐसा क्यों ? पता नहीं की कुदरत ने इंसानोपर ही इतनी मेहरबानियाँ क्युँ की ? इस सवाल का किसिसके पास जवाब नहीं है। लेकिन मेरे जैसे कई एलियंस के जानकारों का ये दावा है की ये कुदरत की नहीं बल्कि एलियंस की रेहमत है।
प्राचीन इतिहास में अगर हम देखे तो शुरवात में आदिमानवो को आग के प्रति कौतूहल था। शुरवात में जब जंगल में आग लगती थी तो हमारे पूर्वज भी बाकी जानवरो की तरह उससे डरकर दूर भागते थे। लेकिन एक बार हुवा यु की एक बार जब जंगल में आग लगी तो उसमे कुछ जानवर बुरी तरह झुलस गए जिनकी आदिमानव शिकार किया करता था। जब आदिमानव आग बुझाने के बाद जंगल में गया तो उसे शिकार के लिए कुछ भी नहीं मिला। आग के कारन जानवर भाग गए थे और बाकि बचे झुलस कर मरे हुए थे। आदिमानव ने मजबूरन उन झुलसे हुए जानवरों को खाने का फैसला किया। और जब उन्होंने उस झुलसे हुए जनवरो के मांस को खाया तो उसे वोह स्वादिष्ट लगा। अब तक जो कच्चा मांस वोह खा रहे थे उससे बेहतर आग में भुना हुवा मांस होता है ये बात इंसान को पता चली। यहि से आदिम इंसानों के मन में आग के प्रति आकर्षण निर्माण हुवा। इसी आकर्षण के कारण इंसानों के पुर्वजोने आग पर काबू पाना सिखा। ये घटना इंसान के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना है।
अगर इंसानो में जिज्ञासू मन ना होता तो आग के प्रति उसके मन में कौतूहल ही नहीं जागता और बादमे हमारे विकास के आगे के चरण भी पुरे नहीं हो पाते, जिसपर हमारे आज के विकास की नीव खड़ी है। इसी कारण ये हमारे दिमाग की सबसे अहम विशेषता है। लेकिन धरतीपर करोडो सालो के दौरान अनगिनत प्रजातियां विकसित हुई, लेकिन सिर्फ इंसानो के अंदर ही ये विशेषता पूर्ण रूप से विकशित हुई। आखिर ऐसा क्यों ? पता नहीं की कुदरत ने इंसानोपर ही इतनी मेहरबानियाँ क्युँ की ? इस सवाल का किसिसके पास जवाब नहीं है। लेकिन मेरे जैसे कई एलियंस के जानकारों का ये दावा है की ये कुदरत की नहीं बल्कि एलियंस की रेहमत है।
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