हमारा ब्रम्हाण्ड बेहद विशाल है। इसकी सीमाओं की हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारी तो दूर की बात लेकिन हमारे सौरमंडल को चलाने वाले सूरज का स्थान भी इस ब्रम्हाण्ड में शुन्य है। हमने विज्ञान में बेहद तरक्की कर ली है। लेकिन विज्ञान भी इस ब्रम्हाण्ड की पहेली को समझने में कम पड़ रहा है। इसका कारण है, ब्रम्हाण्ड का विशाल आकार। हम आज भी इस ब्रम्हाण्ड के विकास और विस्तार के बारेमे कोई ठोस जवाब नहीं दे सकते। हम ये भी नहीं बता सकते की इस ब्रम्हाण्ड में हम है कहा। पृथ्वीपर पर हम अपना सही स्थान बता सकते है, लेकिन ब्रम्हाण्ड के बारे में हम अभी भी अग्यात है।
बीसवीं सदी को औद्योगिक क्रान्ति का युग कहा गया। वैज्ञानिकोने कई चमत्कारिक चीजोंकी खोज इस सदी में की। समाज के विकास के साथ-साथ विनाश भी इसी सदी में घटित हुवा। दो महायुद्धों को दुनियाने इसी सदी में देखा। इसी सदी में UFO ने दुनियाभर धूम मचा दी। पश्चिमी देशो में समाज, सेना और सरकार इन तीनो पर UFO की घटनाओ का असर पड़ा। UFO देखने का दावा करने वालो की तादाद बढ़ती ही जा रही थी। अखबारों को मसालेदार खबरे मिल रही थी। इनमे सरकार और सेना को शक की नजर से देखा जाने लगा। लेखकों के हाथ भी एक दिलचस्प विषय लगा था। एलियंस पर बड़े पैमाने पर किताबे लिखी गई। फिर भला सिनेमा जगत इसमें कैसे पीछे रहता ? हॉलीवुड में एलियंस पर कई फिल्मे बनाई गई। कुछ फिल्मो में एलियंस को अच्छा तो कुछ में खलनायक दिखाया गया। इस प्रकार एक गंभीर विषय को मनोरंजक बना दिया गया। उस समय अगर कोई भी विचित्र घटना घटती तो उसे एलियंस से जोड़ कर देखा जाता। अनेक लोग सामने आये जिन्होंने खुद एलियंस का संशोधक कहा। पश्चिमी देशो में भूचाल लाने वाले इस विषय से लेकिन भारत कोसो दूर था। भारतीयोंको इस विषय का परिचय 21 सदी में हुवा। 20 सदी के अंत में कुछ भारतीय लेखकों ने इस विषय को लोगोके सामने रखा, लेकिन इस विषय को लेकर भारतीयों को खास रूचि नहीं थी। 2003 साल में आई हिंदी फिल्म "कोई मिल गया" ने भारतीयोंको एलियंस से परिचित करवाया।
एरिख डेनिकेन इनकी मशहूर किताब हो या 1947 की रोजवेल की घटना हो या 'सेटी' को मिला हुवा 'WOW' संदेश, इन सब से आज भी बहुसंख्य भारतीय अंजान है। जब की पश्चिमी देशो में ये घटनाये मशहूर है। आम लोग इनके बारेमे जानते है।
अफ़सोस इस बात का है की आज भी भारतीयोमे इस विषय को लेकर दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालो से मै इस विषय पर काम कर रहा हु। इतने सालो में इक्का-दुक्का लोग ही मुझे मिले है जो इस विषय पर मुझसे चर्चा की। बाकि बचे सबने मेरा मजाक उड़ाया। लोग राजनीती पर बात करते है,धर्म पर बात करते है,फिल्मो पर बात करते है, क्रिकेट पर बात करते है, लेकिन एलियंस के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। अगर किसीको बताने जाओ तो कहते है की "इस बात से हमारा क्या लेना-देना?" उन्हें इस विषय की गंभीरता का एहसास नहीं है। एलियंस का आगमन हमारे लिए कितना खतरनाक हो सकता है इस की चेतावनी मशहूर वैज्ञानिक डॉ स्टीफेन हॉकिंग दी ही है। अगर एलियंस धरतीपर आते है तो उनका इरादा धरतीपर कब्ज़ा करना ही होगा और हमे तब उनका गुलाम बनाना पड़ेगा।
इसके आगे की चर्चा, इसी लेख की अगले भाग में
बीसवीं सदी को औद्योगिक क्रान्ति का युग कहा गया। वैज्ञानिकोने कई चमत्कारिक चीजोंकी खोज इस सदी में की। समाज के विकास के साथ-साथ विनाश भी इसी सदी में घटित हुवा। दो महायुद्धों को दुनियाने इसी सदी में देखा। इसी सदी में UFO ने दुनियाभर धूम मचा दी। पश्चिमी देशो में समाज, सेना और सरकार इन तीनो पर UFO की घटनाओ का असर पड़ा। UFO देखने का दावा करने वालो की तादाद बढ़ती ही जा रही थी। अखबारों को मसालेदार खबरे मिल रही थी। इनमे सरकार और सेना को शक की नजर से देखा जाने लगा। लेखकों के हाथ भी एक दिलचस्प विषय लगा था। एलियंस पर बड़े पैमाने पर किताबे लिखी गई। फिर भला सिनेमा जगत इसमें कैसे पीछे रहता ? हॉलीवुड में एलियंस पर कई फिल्मे बनाई गई। कुछ फिल्मो में एलियंस को अच्छा तो कुछ में खलनायक दिखाया गया। इस प्रकार एक गंभीर विषय को मनोरंजक बना दिया गया। उस समय अगर कोई भी विचित्र घटना घटती तो उसे एलियंस से जोड़ कर देखा जाता। अनेक लोग सामने आये जिन्होंने खुद एलियंस का संशोधक कहा। पश्चिमी देशो में भूचाल लाने वाले इस विषय से लेकिन भारत कोसो दूर था। भारतीयोंको इस विषय का परिचय 21 सदी में हुवा। 20 सदी के अंत में कुछ भारतीय लेखकों ने इस विषय को लोगोके सामने रखा, लेकिन इस विषय को लेकर भारतीयों को खास रूचि नहीं थी। 2003 साल में आई हिंदी फिल्म "कोई मिल गया" ने भारतीयोंको एलियंस से परिचित करवाया।
एरिख डेनिकेन इनकी मशहूर किताब हो या 1947 की रोजवेल की घटना हो या 'सेटी' को मिला हुवा 'WOW' संदेश, इन सब से आज भी बहुसंख्य भारतीय अंजान है। जब की पश्चिमी देशो में ये घटनाये मशहूर है। आम लोग इनके बारेमे जानते है।
अफ़सोस इस बात का है की आज भी भारतीयोमे इस विषय को लेकर दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालो से मै इस विषय पर काम कर रहा हु। इतने सालो में इक्का-दुक्का लोग ही मुझे मिले है जो इस विषय पर मुझसे चर्चा की। बाकि बचे सबने मेरा मजाक उड़ाया। लोग राजनीती पर बात करते है,धर्म पर बात करते है,फिल्मो पर बात करते है, क्रिकेट पर बात करते है, लेकिन एलियंस के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। अगर किसीको बताने जाओ तो कहते है की "इस बात से हमारा क्या लेना-देना?" उन्हें इस विषय की गंभीरता का एहसास नहीं है। एलियंस का आगमन हमारे लिए कितना खतरनाक हो सकता है इस की चेतावनी मशहूर वैज्ञानिक डॉ स्टीफेन हॉकिंग दी ही है। अगर एलियंस धरतीपर आते है तो उनका इरादा धरतीपर कब्ज़ा करना ही होगा और हमे तब उनका गुलाम बनाना पड़ेगा।
इसके आगे की चर्चा, इसी लेख की अगले भाग में
hum bharitiyoke agar UFO Dikh bhi jaye to kahenge Bhagvan ne darshan de diye
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