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शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

फ़रवरी 22, 2020

एलियंस और सरकार

                                                               हम धरतीवासी पिछले कई सालो से ये सवाल पूछ रहे है, की क्या हम इस विशाल ब्रम्हाण्ड में अकेले है ? इस खोज पर दुनियाँ के बड़े-बड़े देश अरबो रुपये खर्च कर रहे है। यहाँ सवाल ये है की जो हम देख रहे है वोह सच है या जो हम देख रहे है सरकार जान बुज़कर हमे दिखाना चाहती है। जो हम देख रहे है वो एक चलवा तो नहीं ? क्यूँ की ये जरुरी नहीं की जो हम देख रहे हो वो ही सच हो। सच्चाई हमारी कल्पनासे भी जयादा विचित्र  है। और जब हम बात एलियंस  दूसरे ग्रहो के जीवो की अति है तो इस मामले को देश की राष्ट्रिय सुरक्षा  जोड़कर देखा जाता है। लेकिन आखिर सर्कार हमसे क्यों छुपाना चाहती है ? शायद सरकार इस मामले में ये नजरिया रखती हो की अगर परग्रहीयो  लोगो मे फ़ैल गई तो शायद लोगो में इस बात को लेकर डर फ़ैल सकता है। कुछ एलियंस शोधकर्ताओं का ये भी मानना है की सरकार के पास परग्रहीयो से जुड़े कई साबुत भी मौजूद है। लेकिन सवाल ये है  आखिर सरकार ये कर क्यूँ रही है ? तो इसका भी एक जवाब रहश्यवादी शोधकर्ता  है की एलियंस की तकनीक  इस्तेमाल करके सरकार उन्दा क़िस्म के हथियार विकशित कर रही है। शायद आपको लगेगा की ये सब बेकार की बाते है। लेकिन आप को एक घटना की जानकारी देना चाहता हु जो इस सिद्धांत को पुख्ता कराती है। हम सब को रोजवेल की घटना तो पता ही है।  कहा जाता है की रोजवेल की दुर्घटना स्थल से मिले UFO यानि उड़नतश्तरी  मलबे को और एलियंस के शवों (कहा जाता है की एक एलियंस जिन्दा भी मिला था) अमेरिका ने अपने ख़ुफ़िया केंद्र 'एरिया 51' रखा था और आश्चर्य की बात तो देखिये अमेरिका ने अपने दो आवाज से तेज चलने वाले लड़ाकू विमानों की खोज भी इस जगह पर ही की !  क्या ये महज एक इत्तेफ़ाक़ है ? या फिर परग्रहीय शोधकर्ताओं के दावे में सचमे दम है। तय हमे करना है की हम किस बात को सच मानना है और किस बात को झूठा। लेकिन हमें पहले दोनों तरफ के दावों को समझना होगा क्यों की किसी एक विचार पर हम अपनी राय  नहीं बना सकते। हमें सच्चाई की तय तक पोहचना चाहिए।  लेकिन ये इतना भी आसान नहीं है।  क्युँ की हमारी कुछ मर्यादाएं है। हम उन सीमाओं के पार नहीं जा सकते।
                                                        आम आदमी तो अधिकतर हॉलीवुड की फिल्मो को देखकर एलियंस के बारे में अपनी राय बना लेते है।  लेकिन हम ये भूल जाते है  की ये फिल्मे काल्पनिक्ता की बुनियाद पर बनी होती है। हम कल्पनाओ को सच नहीं मान सकते। कल्पनाएँ कभी भी हमें सही जानकारी नहीं दे सकती। जानकारियाँ पाने का सही जरिया किताबे सकती है। अखबारों द्वारा जारी की जाने वाली खबरे प्रमाण हो सकती है। आज का दौर तो इंटरनेट का दौर है।  जहा कई साइटों पर एलियंस से जुडी जानकारियाँ भरी पड़ी है। कई लोग तो सिर्फ रोजवेल तक भटके पड़े है। लेकिन ये सिलसिला और भी पीछे यानि दो हजार साल तक पीछे  पहुँचता है। शोधकर्ताओं को इतिहास में कई ऐसी घटनाओ का पता चला है जब आकाश में लोगो ने अजीब तरह की चीजे या रोशनियाँ उड़ाती हुई देखि गई। जब प्रत्यक्षदर्शियों ने इन घटनाओ का ब्यौरा देते वक़्त स्पष्ट रूप से उनका वर्णन 'अज्ञात वस्तुएँ' ऐसा किया गया है। कई घटनाओ में या यु कहे ज्यादातर घटनाओ में ऐसे दृष्यों को धर्म और ईश्वर से जोड़कर देखा गया है। जिससे उनका स्वतंत्र कोई अस्तित्व ही नहीं रहा।  जैसे अगर आसमान में कोई चमकदार  रोशनी देखि गई तो उसे ईश्वर का चमत्कार मानकर उस घटना को दैवी रूप दे दिया जाता था। लेकिन कुछ घटनाएँ ऐसी भी थी जो इस बीमारी का शिकार नहीं हुई। इसी कारण हम पिछले दो हजार सालो से आसमान में उड़न तश्तरियो के देखे जाने पर प्रकाश दाल सके। भारत  उड़न तश्तरी दिखी होगी तो भी उस घटना को 'भगवान के दर्शन' के रूप में ही दर्ज किया गया होगा। क्यूँ की भारत में ईश्वरवाद की बीमारी दूसरे देशो की तुलना में ज्यादा गंभीर अवस्था में फैली हुई है। आज भी भारत के लोग परग्रहीय जोवो और उड़न तश्तरिओं के बारे में ज्यादा सजग नहीं है। उनके लिए तो ये विषय ही किसी दूसरे ग्रह का है। खैर कोई बात नहीं, हम भारतीयों को कोई नहीं सुधार सकता। वोह तो भला हो 'हॉलीवुड' देवता का जिनके कारन थोड़ी बहुत लोगो को इस विषय में जानकारी मिली है। वरना हमारी देसी फिल्मो को प्यार, सेक्स, धर्म, समाज, क्रिकेट और राजनीति से फुरसत कहा है ?और रही बात मिडिया की तो वोह तो उनसे भी बेहतर है। हम भारतीय हमारे देश को ही सारा विश्व समझते है और इस बात का हमे गर्व भी है।
                                                थोड़ा विषय से भटक गया था।  लेकिन ये बात भी कहानी जरुरी थी। अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशो की कई ऐसी गोपनीय संस्थाएं  सर्कार के लिए काम कराती है और जिन्हे सिर्फ परग्रहीयो जुड़े मामलो की जाँच करने हेतु गठित किया गया है। उनके अस्तित्व  बारे में सिर्फ चुनिंदा लोग ही जानते है। उन्हें सबकी नजरो से दूर रखा गया है। जैसे उनका कोई अस्तिव ही नहीं है। लेकिन ये संस्थाएं वाकई मौजूद है। सीतयुद्ध के दौरान अमेरिका में ऐसी एक सस्था का निर्माण किया गया था जिसका उद्देस सिर्फ एलियंस और उड़न तस्तरिओं जुडी घटनाओ की जाँच करना था। उस संगठन का नाम मैजेस्टिक-12 (MJ-12). अमेरिकी सरकार ने कई सालो तक इस संगठन के अस्तित्व को छुपाए रखा।     
        

सोमवार, 3 जून 2019

जून 03, 2019

कॉलराडो की UFO की घटनाएं

                                                        कॉलराडो का इलाका हमेशा से ही एलियंस और UFO से जुडी घटनाओ का केन्द्र रहा है। आज तक हजारो लोगो ने यहाँ आसमान में UFO देखे जाने का दावा किया है। सालो से लोग यहाँ अजीब घटनाओ का सामना कर रहे है। 7 सितम्बर 1967 को एक ऐसी ही अजीब घटना यहाँ सामने आई थी। दरसल यहाँ एक घोडा लापता हुवा था और अचानक 7 सितम्बर को उसकी लाश मिली। घोड़े की मौत का कारण जानने के लिए जब उसका शव परीक्षण किया गया तो सब हक्के-बक्के रह गए। क्युँ की उसके शरीर में खुन की एक बून्द भी नहीं थी। आश्चर्य की बात तो ये थी की उस घोड़े के शरीर पर कोई बड़ा घाव नहीं था। की जिससे सारा खून बहा हो और ना ही वहा पर कोई खुन के निशान मिले थे जहा उसकी लाश मिली थी। तो आखिर उस घोड़े के शरीर में से खुन गायब कहा हुवा ? इस बात का अंत तक कोई जवाब नहीं मिला। इस घटना से जुडी और एक घटना, जिस दिन यह घोडा लापता हुवा था, उसी दिन एक और शाहमुर्ग़ भी लापता हुवा था। लेकिन शाहमुर्ग़ का कोई सुराग नहीं मिला। आप को क़्या लगता है की इन जानवरो के साथ आखिर क्या हुवा होगा ? कही ऐसा तो नहीं की ये जानवर एलियंस के किसी प्रयोग का शिकार थे ?
                                                       कॉलराडो में स्थित एक पार्क जिसका नाम है 'Colorado Gators Reptile Park' । यहाँ पर मगरमच्छ जैसे जीवो की देखभाल की जाती है। इस संस्था में काम करने वाले कई कर्मचारियों ने रात के आसमान में अजीब चीजे देखने का दावा किया है। इस संस्था में काम करने वाले 'Joe' नामक कर्मचारीने बताया की एक दफा जब रात को वोह अपनी कार से घर जा रहा था। तो उसने देखा की हवा में कुछ फिट ऊपर तीन चमकदार रोशनियाँ उसकी तरफ सामने से तेजीसे से बढ़ रही है। जैसे-जैसे वह नजदीक आ रही थी, वह बड़ी होती जा रही थी। उनकी रफ़्तार कम नहीं हो रही थी। Joe को लगा की अब ये रोशनियाँ उसकी कार से टकराने वाली है। उसे डर लग रहा था। लेकिन वोह रोशनियाँ कार के बेहद नजदीक आकर अचानक मुड़कर दूसरी दिशा में चली गई। इसी संस्था में काम करने वाले Kenny नामक कर्मचारी ने बताया की उसने कई बार आसमान में अजीब तरह का बर्ताव करने वाली रोशनियाँ देखि है। इन कर्मचारियों के साथ- साथ  संस्था के मैनेजर Joy Young भी इन विचित्र घटनाओ के साक्षी रहे है। उन्होंने बताया की एक बार उन्होंने तीन रोशनियों को पहाड़ के ऊपर लगभग 21000 Km/Per Hour की हैरतंगेज रफ़्तार से जाते हुए देखा था। ये रफ़्तार साफ करती  की वोह तीन रोशनियाँ कोई UFO ही था।
                                                      कॉलराडो में इस तरह की घटनाएं इतनी बड़ी तादाद में होती है की एक महिला ने इन घटनाओ को लोग आराम से देख सके इस लिए एक UFO Watch Tower बना डाला। 'जुडी मेसोलाइन' नामक महिला ने यह टॉवर कॉलराडो के 'सँन लुईस व्हली' में बनाया है। इस टॉवर पर कई लोग आते है और यहाँ से कई लोगोने अदभुत नज़ारे देखे है। एक रात तो लगभग जब साठ लोग यहाँ मौजूद थे तो उन्होंने आसमान में दो सिलिंडर आकर के UFO को देखा।   से आप अंदाजा लगा सकते है की यह घटनाएं इस इलाके कितनी आम है।  लेकिन आज तक इसपर सरकार की और से कोई बयान जारी नहीं किया गया। और नाही सेना ने कोई करवाई की है। सरकार जैसे जान बूझकर इसे अनदेखा कर रही है। 
        

शनिवार, 25 मई 2019

मई 25, 2019

पिरॅमिड्स- एक रहश्यमयी संरचना

                                                   पिरॅमिड्स एक ऐसी रहश्यमयी संरचना है जो आज भी वैज्ञानिको के लिए एक पहेली बानी हुई है। इजिप्त  के पिरॅमिड्स दुनिया भर में मशहूर है। कहा जाता है की इजिप्त  के राजाओंने अपनी कब्र के तौर पर इनका निर्माण करवाया। और जब राजा की मृत्यु हो जाती थी तो उसके शव की ममी बनाके इनके अंदर रख दी जाती थी। लेकिन आज जब हम इन पिरॅमिड्स को गौर से देखते है तो मन में ये सवाल खड़ा होता है, क्या सच में इन्हे सिर्फ कब्र के तौर पर बनाया गया था ? क्युँ की अगर हम उदहारण के तौर पर खुफु के पिरॅमिड को ले, तो उसे बनाने  के लिए 20 लाख से भी ज्यादा विशाल चट्टानों को दूर से यहाँ लाया गया। पुरे 20 साल मेहनत करके इस विशालकाय संरचना  निर्माण किया गया और वोह भी सिर्फ कब्र के लिए ! मुझे ये बात बिलकुल भी हजम नहीं हुई। मुझे ये सही नहीं लगा।  यहाँ कुछ तो गड़बड़ है। शायद आप लोग कहेंगे की पिरॅमिड अंदर ममी मिली है। इससे साफ होता है की यह कब्र के लिए ही बनाए गए थे। लेकिन क्या ये नहीं हो सकता की इसे किसी और ने, किसी और मकसद से बनाया होगा और उनके जाने के बाद इजिप्त  के राजाओंने अपना हक़ इन पिरॅमिड्स पर जताने के लिए इनकी दीवारों पर जानबूझकर झूठ को गढ़ा गया हो। क्युँ  की इसकी संरचना बेहद ही अदभुत है। और इसका निर्माण सिर्फ इजिप्त  में ही नहीं अमरीका महाद्वीप  की 'माया' सभ्यता के लोगो ने भी किया था।   सभ्यताए एक दूसरे से कभी नहीं मिली, क्युँ  की ये एक दूसरे से हजारो किलोमीटर के फसलों में थी। इनके बिच एक विशाल महासागर था। और सबसे अहम बात इन दोनों को एक दूसरे के वजूद की कोई जानकारी भी नहीं थी। फिर भी दोनों ने ही पिरॅमिड्स बनवाए। आखिर इन दोनों सभ्यताओं के एक ही समय पर इस संरचना की संकल्पना कैसे जन्मी ?
                                                   एक और बड़ा राज है, जिसने तो सारे वैज्ञानिको को हैरत में दाल रखा है। दोनों भी सभ्यताओं के 'ओरायन'  तारकासमुह की स्थिति में ही पिरॅमिड्स कैसे बने ? आखिर वोह क्या शक्ति थी जो इन दोनों सभ्यताओं के लोगो के दिमाग को जोड़े हुए थी ? क्युँ की इतने सारे इत्तेफ़ाक़ एक साथ कभी नहीं हो सकते। जरूर इसके पीछे किसी और का हाथ था। मेरा यह मानना है की इस योजना के पीछे एलियंस का हाथ था। और वह एलियंस जिस ग्रह से आये थे वह ओरायन तारकासमुह में है। इस लिए वोह अपनी निशानी छोड़ गए। जो एलियंस इजिप्त  में उतरे थे और जो माया लोगो से मिले वोह दोनों भी ओरायन तारकासमुह से ए थे। उनका मकसद था इंसानो की विकास में मदत करना और आने वाली पीढ़ियों के विकास के लिए ज्ञान देना। इजिप्त  के एक देवता जिनका नाम 'ओसायरस' था।  कहा जाता है वोह ओरायन से आये थे और अपना काम ख़त्म करके वोह वापस चले गए। ये देवता और कोई नहीं एलियंस ही थे। पिरॅमिड्स की शक्ल में उन देवताओ ने हमारे लिए बड़े सबूत छोड़े है। जिससे हम जान सके की वोह कहासे आये थे।
                                             इजिप्त  और माया ये दोनों सभ्यताए अलग-अलग थी। इनके देवता, पूजा करने के विधि, उनकी वेशभूषा, धर्म, विधिनियम सब कुछ अलग था। मगर दोनों में एक बात समान थी और वोह थी 'पिरॅमिड्स' . और आश्चर्य की बात  ये है की दोनों सभ्यताओं में 'ओरायन' को लेकर खासा आकर्षण था। इस कारण दोनों सभ्यताओं महान पिरॅमिड्स इसी तारकासमुह की रचना में बनाए गए। लेकिन सवाल ये उठता है की इन दोनों के आकर्षण के केंद्रबिंदु में 'ओरायन' ही क्युँ ? बाकि तारे क्युँ नहीं थे ? इसका एक ही अर्थ है की दोनों को भी 'ओरायन' के देवताओ (एलियंस) ने ही ज्ञान दिया था। और उन्होंने अपने  सबूत को पिरॅमिडस  के रूप में निर्माण करवाया। 

मंगलवार, 21 मई 2019

मई 21, 2019

एलियंस हमारे दोस्त है या दुश्मन ?

                                                                         एलियंस के जानकारों में इस बात को लेकर विवाद है की एलियंस हमारे दोस्त है या दुश्मन ? कुछ लोग यह मानते है की एलियंस ही हमारे विकास के रचयिता है। उन्होंने ही मानव को आगे बढ़ाया है और हमारे इतिहास में वोह हमारे साथ रह चुके है। ये वोह वर्ग है जो एलियंस के सकारात्मक रूप को सामने रखते हुए उनका समर्थन करता है। लेकिन एक दूसरा वर्ग भी है जो इनके विचारोसे सहमत नहीं है। कई लोगो का ये मानना है की एलियंस का वजूद हमारे लिए खतरा है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ.स्टीफन हॉप्किंग ने भी इस बात पर जोर दिया था की एलियंस हम पर हावी हो सकते है। जो लोग एलियंस का धरतीपर आना एक खतरा मानते है, वोह लोग वैज्ञानिको द्वारा एलियंस की खोज को लेकर जो अभियान चलाये जा रहे है उनपर भी एतराज जताते है।  ये कुछ इस तरह है की किसी अनजान जंगल में खड़े होकर चिल्लाना। हो सकता है आपकी आवाज कोई इंसान सुने और ये भी हो सकता है की आपकी आवाज कोई जंगली शेर सुन ले। क्युँ की आपको नहीं पता की उस जंगल में कौन है और कहा है ? इसी तरह हमारी आवाज ब्रम्हांड चिल्लाने ने का काम कर रही है। इसे सुनाने वाले एलियंस दोस्ती करने भी आ सकते है और हमारे ग्रह पर कब्ज़ा करने भी। चलिए मै आपको इन दोनों मुद्दोंको विस्तार में समझाता हु।
                                                                    बीसवीं सदी में 'एरिख वॉन डेनिकेन' नामक व्यक्ति ने दुनिया भर में घूमकर इस बात के सबूत खोज निकाले की किस तरह हमारे अतीत में एलियंस आए थे। किस तरह उन्होंने हमारे विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और हम आज जो भी तकनीकी विकास के पायदान पर खड़े है उसका श्रेय उन एलियंस को ही जाता है। एरिख वॉन डेनिकेन इसपर "चैरियट्स ऑफ़ गॉड" नामक किताब लिखी, जो पूरी दुनिया में मशहूर हुई। इसके बाद तो जैसे धूम ही मच गई। और भी कई लेखकोंने इस विषय को आगे बढ़ाया। समाज में एक वर्ग तैयार हुवा जो इस विचारधारा का समर्थक बना। आज भी इस विचारधारा को मानाने वालो की तादाद बढाती ही जा रही है। क्युँ की कई नए सबूत और घटनाएं सामने आई जिन्होंने इस दृष्टिकोण की बुनियाद को मजबुती दी। लेकिन आज इस विचारधारा में कुछ गड़बड़ियाँ निर्माण हुई है। इस विचारधारा के समर्थक हर प्राचीन निर्माण, संशोधन और किसी बड़े कार्य को सीधा एलियंस से जोड़ रहे है। ये दावा कर रहे है की इजिप्त के पिरॅमिड जैसी दुनिया की सभी प्राचीन संरचनाओं का निर्माण एलियंस ने ही किया था। ये कहकर ये सीधे-सीधे इंसानो के सामर्थ का अपमान कर रहे है और दुनिया भर के पुरातत्वशास्त्रियोके निशाने पर आ गए है। इस विचारधारा के समर्थकों को हर प्राचीन चित्र, कथा और शिल्प में एलियंस दिखाई देते है। इस कारन अब लोग इनका मज़ाक उड़ा रहे है। ये हास्य के पात्र बनते दिखाई दे रहे है। इस कारण अब इस विचारधारा के समर्थकों को  समजना होगा की जब तक उनके पास उनके उनके दावे से जुड़ा कोई ठोस प्रमाण न हो तब तक उसपर अपनी राय लादना योग्य नहीं।     
                                                             पिछले सत्तर सालो में दुनिया भर में UFO दिखाई देने की अनगिनत घटनाएं सामने आई है। कई सबूत भी मिले है। जैसे कुछ तस्वीरें, कुछ विडिओस, तो कभी कुछ विचित्र निशान। आज भी ये घटनाएं जारी है। लेकिन इन अग्यात महमानो का आना हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है। मानना है कुछ लोगो का। ये वोह लोग है जो एलियंस को खरता मानते है। क्युँ की हम उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते। वोह कौन है ? कहाँसे आए है ? उनका यहाँ आने का मकसद क्या है ? ऐसे कई सवाल है जिनके हमे अभी भी जवाब नहीं पता। ऐसे में बिना कुछ जाने ये दावा करना की वोह हमारे दोस्त है, क्या ये सही होगा ?आज तक दुनिया भर में कई जगओ पर UFO देखे गए। लेकिन किसी भी UFO ने इंसानो के साथ सम्पर्क करके कोई औपचारिक मुलाकात नहीं की, की जिसमे उन्होंने अपना परिचय दिया हो या हमारा परिचय जाना हो। जिन्हे दोस्ती करनी होती है वोह सामने आकर हाथ बढ़ाते है, जान-पहचान बढ़ाते है। इस तरह चोरी-छुपे घुसबैठ नहीं करते। और एक बात पिछले कई सालो में एलियंस द्वार अगवाह किये जाने की हजारो वारदाते सामने आई है। जिनमे लोगो को अगवाह करके उनपर प्रयोग किये गए। क्या ये दोस्ती की निशानी है ? इन घटनाओ पर अमरीका की ख़ुफ़िया एजेंसियां CIA और FBI नजर बनाए हुए है। ये बात साफ है मामला गंभीर है। जीन  लोगोने एलियंस द्वारा अगवाह किए जाने के दावे किये, जब उन्हें सम्मोहित करके उनकी अपहरण की याद्दाश को फिर से उजागर किया गया। तब उन लोगोने जो बया किया वोह रौंगटे खड़े कर देने वाला अनुभव था। उन लोगोको भयानक यातनाओ से गुजरना पड़ा था। कई घटनाओ में तो पीड़ित को बार-बार अगवाह किया गया था। उन लोगो की मानसिक अवस्ता तो भयावह हो चुकी है। कुछ घटनाओ में तो अगवाह किये गए लोग दुबारा कभी लौट कर नहीं आए। क्या अभी भी हम यही कहेंगे की एलियंस हमारे दोस्त है ?
                                                            शायद आप इस कश्मकश में पड़ गए होंगे की एलियंस  दोस्त समझे या दुश्मन ? मगर इस सवाल दोनों भी जवाब सही हो सकते है। आप कहेंगे की ये कैसे मुमकिन है ? चलिए मै आपकी उलझन सुलझाता हु। देखिए हमे ये तो पता है की सभी एलियंस किसी दूसरे ग्रह से आते है। लेकिन ये जरुरी तो नहीं की आने। वाले सभी एक ही ग्रह से आते हो।  मतलब जो लोग अच्छे एलियंस  में बाते करते है, वोह सच में अच्छे हो और जो बुरे एलियंस के बारे में बोलते है वोह सच में बुरे हो। क्युँ की दोनों अलग-अलग ग्रह के निवासी है। पृथ्वीपर दिखाई देने वाले सारे UFO का आकार और संरचना एक जैसी बिलकुल नहीं होती। यानी एक बात तो साफ है की वोह सब एक ही ग्रह के निवसी नहीं है। ये कुछ इस तरह है जैसे इजिप्त के पिरॅमिड देखने दुनिया के अलग-अलग देशो से लोग आते है। उसी तरह जब ये खबर एलियंस में फैली होंगी की हमारी पृथ्वीपर जीवन है तो वोह हमारे बारे में जानने की लालसा में धरतीपर एते होंगे। लेकिन जब तक हम उनसे सम्पर्क स्थापित नहीं कर लेते तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। और हम लाख चाहे, लेकिन जब तक वोह खुद हमसे मिलना नहीं चाहेंगे तब तक हम उनके बारे में कुछ भी नहीं जान सकते। 

सोमवार, 20 मई 2019

मई 20, 2019

क्या हम एलियंस है ? भाग-4, विषय- प्रजनन

                                                                   मैंने इस बारे में अपने पहले लेख में सूचित किया था। इस कारन इस विषय पर और ज्यादा स्पष्टीकरण देने की जरुरत नहीं है।  लेकिन कुछ मुद्दे है जो मै पिछेल लेख में नहीं रख पाया तो उन्हें इस लेख में स्पष्ट करने की कोशीश करूँगा। प्रजनन भी एक अहम मुद्दा है जो इंसानो को दूसरे जानवरो से अलग करता है। धरतीके सभी जीव प्रजनन द्वारा अपना वंश आगे बढ़ाते है। इस चक्र इंसान भी नहीं छूटा है। लेकिन धरतीपर रहने वाले सभी जीवों का प्रजनन का समय तय होता है। लेकिन इंसानो पर ऐसी कोई समय सीमा लागु नहीं होती। साल के खास समय पर जीवो में संभोग की प्रवृत्ति जागृत होती है और बादमे प्रजनन। लेकिन इंसानो के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। हम अगर देखे तो बाकि जीवो का प्रजनन का समय ज्यादा तर बरसात के दिनों में होता है। लेकिन इंसानो के बच्चे तो साल के किसी भी मौसम में जन्म लेते है।  साल के कुछ खास दिनोमे ही बाकि जीव संभोग करते दिखाई देते है।  लेकिन इंसान तो कभी भी संभोग करते है। साथ इंसान के संभोग का उद्देश्य आनंद लेना होता हैइंसान जब चाहे तब संभोग करता है।  जबकि बाकीके जानवरो में संभोग का उद्देश्य अपने वंश को आगे बढ़ाना, प्रजनन करना होता है। और बाकि के जीव साल के खास समय पर ही संभोग करते है। ये दो बबाते इंसान और बाकि जीवो के मूलभूत स्वभाव में जो अंतर है उसे साफ कराती है।
                                                                धरती के बाकि जीवो की संताने जन्मने बाद कुदरत के हालत में जीने के काबिल होती है। उदहारण के तौर पर हम हिरण के बछड़े को लेते है। अगर हिरण का बछड़ा बारिश में जन्म लेता है तो उसे कुछ भी नहीं होगा। लेकिन अगर इंसान का नवजात शिशु अगर बरसात के पानी में भीगता है तो वोह जिन्दा भी नहीं बच पायेगा। क्युँ की बरसात के पानी के कारन उसे ठण्ड लगकर निमोनियाँ हो जायेगा और उसका नाजुक शरीर इसे नहीं कर सकने के कारन उसकी मृत्यु हो जाएगी। यहाँ पर एक सवाल खड़ा होता है की दूसरे जीवो की तुलना में इंसानो के शिशु इतने कमजोर क्युँ होते है ? जिन्हे हम अपना रिश्तेदार कहते है, उन बंदरो के बच्चे कुदरत के विपरीत हालात में भी आराम से जी लेते है। और उन्ही हालातो में तो इंसानी बच्चे दम तोड़ देंगे। आखिर ये क्या चमत्कार है ? क्या हम कुदरत की नाजायज औलाद है ?
                                                                 संभोग के बाद जब मादा गर्भवती होती है तब उसके अंदर संभोग की कामना समाप्त हो जाती है। लेकिन इंसानो में तो गर्भावस्था के दौरान भी स्त्रियों में संभोग की कामना बनी रहती है। प्रजनन के समय बाकि जीवो में मादाये इतनी कमजोर नहीं होती जीतनी इंसानी स्त्री कमजोर होती है। आखिर इसकी क्या वजह है की इंसानी शरीर की रचना दूसरे जीवो से इतनी अलग है ? ये सब बाते जानकर भी कुछ महाशय इस बात के दावे पर अड़े हुए है की हम वानरों से ही विकशित हुए है। ये वोह लोग है जो संभावनाओं को समझना ही नहीं चाहते। मगर ये बोहोत बड़ी गलती कर रहे है। इस वोह लोग समाज को अँधेरे में रख रहे है।

बुधवार, 15 मई 2019

मई 15, 2019

क्या हम एलियंस है ? भाग-2, विषय- नर और मादा शारीरिक संरचना

                                                             धरतीपर रहने वाले अगल-अलग जीवोंको सहवास के लिए, अपने साथी को आकर्षित करने के लिए कुदरत ने कुछ खूबियोसे नवाजा है। जैसे मादा मोरनी को आकर्षित करने के लिए नर मोर को रंगीन पंख दिए है। मादा शेरनी को आकर्षित करने के लिए नर शेर की गर्दन पर बालो का घेराव है। कुदरत ने हर जानवर को ऐसी खाशियाते दी है। इंसानो को भी ये खाशियाते मिली है। धरतीके सभी जीवो में ये खाशियाते नर को दी गयी है ताकि वोह मादा को आकर्षित कर सके, लेकिन इंसानो के मामलेमे ये नियम उलटा पड़ गया है। इंसानोमे में मादा को ये खाशियाते मिली है नर को आकर्षित करने  लिए। आखिर इंसानोंके मामलेमे ये बाजी उलटी कैसे हो गई ? ये बोहोत बड़ा रहष्य है। बाकि जनवरोकि तुलना में इंसानी नर और मादा इन दोनों की शारीरिक रचना में  बोहोत ज्यादा अंतर है। दोनों के शरीर का आकार, शरीर के ऊपर बालो का प्रमाण, चलनेका तरीका, आवाज ऐसी बोहोत सी बातो में अंतर है। दूसरे जानवरो की तुलना में ये अंतर कुछ ज्यादा ही है। बाकीके जानवरो की बात तो बोहोत दूर जिन्हे हम अपना रिश्तेदार कहते है उन वानर परिवार में भी ये विशेषताएं पायी नहीं जाती। इंसानो में पुरुषोंको दाढ़ी आती है लेकिन औरतो को दाढ़ी नहीं आती। लेकिन जिस वानर परिवार के हम सदस्य कहलाते है उनके नर और मादा के चहरे में ये विशेष अंतर देखने को नहीं मिलता। अब इसे क्या चमत्कार कहेंगे क्या ? और कितने दिन हम ये दावा करेंगे की वनरोसे ही हमारा विकास हुवा है।
                                                                 इंसानो में ये शारीरिक बदलाव बाहर से तो है ही साथ में अंदर से भी है। शारीरिक सामर्थ पुरुषो का  स्त्री यो के मुकाबले ज्यादा है। दोनों के दिमाग के आकार में भी अंतर है। ऐसे में मन में ये भावना उठती ही है की इंसानो का कोई 'निर्माता' जरूर होना चाहिए। विकास एक प्रक्रिया है जिसके कुछ नियम है। लेकिन इन नियमो में इंसान क्यों नहीं बैठता ? लगभग सोला करोड़ साल धरतीपर राज करके भी डायनोसॉर्स बुद्धिमान जीव नहीं बन पाए। लेकिन पिछले पांच लाख सालो विकशित हुवा मानव आज मंगल ग्रह पर अपने यान भेज रहा है। जैसे इंसानोंके विकास को किसीने जान बूझकर गति दी हो। इंसानो का विकास धरतीके बाकि जानवरो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तेजीसे हुवा है। आखिर विकास की ये रफ़्तार सिर्फ इंसानो में ही क्युँ है ? बाकीके जीवो में क्युँ नहीं ? इंसानोंके विकास की ये रफ़्तार आज भी जारी है। 

मंगलवार, 14 मई 2019

मई 14, 2019

क्या हम एलियंस है ? भाग-1, विषय- सिर के बाल

                                                                      क्या सच में हम इस ग्रह के मूल निवाशी है ? या कही ऐसा तो नहीं की हमारी उत्पत्ती किसी और ग्रह पर हुई हो और बादमे जान बूझकर हमे इस ग्रह पर पनपने के लिए छोड़ दिया गया ? आप को शायद ये सवाल अजीब लग रहे होंगे। क्युँ की बचपन से हमे स्कूल में यही सिखाया जा रहा है की हमारी उत्पत्ती वानरों से हुई है। लेकिन क्या सच में ऐसा ही हुवा था ? हम कई सालो से डार्विन के इस सिद्धांत पर आँख मूंदकर भरोसा कर रहे है, लेकिन वोह शत-प्रतिशत खरा है इसका कोई प्रमाण दे सकता है क्या ? डार्विन का ये सिद्धांत धरतीपर रहने वाले बाकि जीवों पर भलेही पूर्णतः लागु होता हो लेकिन इंसानो के ऊपर इस सिद्धांत को लागु करने पर कुछ सवाल खड़े होते है। जिनका कोई जवाब सिद्धांतकारियो के पास नहीं है। ये सवाल है इंसान की शारीरिक संरचना के बारे में, जो धरती के किसी भी और जीव से मेल नहीं खाते। इस कारण एक विरोधाभास बन गया है। मै आपको बताने जा रहा हु इंसानी शरीर की वोह विशेषताएं जो धरतीके किसी भी और जिव में पाई नहीं जाती।
1 ) सिर के बाल :-     सारि धरतीपर इंसान ही एकमात्र ऐसा जीव है जिसके सिर के बाल लम्बे होते है। आप सोच रहे होंगे की इसमें कौनसी बड़ी बात है ? जरा सोचिये की धरतीपर रहने वाले सभी जीवों के शरीर के किसी भी हिस्से के विकास के पीछे कोई न कोई वजह है।  लेकिन इंसानोंके लम्बे बालो के पीछे क्या वजह है ये तो खुद वैज्ञानिको भी पता नहीं है। और सबसे अहम बात तो ये है की अगर हमारे पूर्वज वानर थे तो वानर परिवार के बंदर, चिम्पांजी या गोरिला इनमेसे किसी के भी सिर के बाल लम्बे क्युँ नहीं ? सिर्फ इंसानो के ही क्युँ है ? खास बात तो ये है की सारि पृथ्वीपर इंसान ही एकमात्र जीव है जिसके सिर के बाल लम्बे होते है। डार्विन के सिद्धांत के मुताबिल हमारा विकास वनरोसे हुवा। जैसे-जैसे विकास की प्रक्रिया आगे बढाती गई, इंसानी शरीर में कई बदलाव हुए। पहले हमारे सारे शरीर पर घने बाल थे, लेकिन बादमे धीरे-धीरे कम होते गए। लेकिन हमारे सिर के बाल ही कम होनेके बजाय बढ़ते क्युँ गए ? इस सवाल से सारे वैज्ञानिक भी हैरान है।  उनके पास भी इसका कोई जवाब नहीं है।
                                                       और एक मजेदार बात ये है की कुछ लोगोके सिर के बाल झड़ ने कारन वोह गँजे होते है,  खाशियत भी सिर्फ इंसानो में ही पाई जाती है। इंसान के रिस्तेदार ( डार्विन के सिद्धांत के अनुसार ) कहे जाने वाले बंदर , चिम्पांजी और गोरिल्ला इन तिनोमे भी ये गुण बिलकुल भी नहीं है। ये बालो का वरदान आखिर इंसानो को मिला कहासे और कैसे ? ये एक रहस्यमयी बात है। एक तरह से ये उत्पत्ति के चरणों में हुवा चमत्कार है। लेकिन इस चमत्कार की वजह का अभी तक पता नहीं चला है। इस से जुड़ा एक दावा सामने आया था की इंसानोंके पूर्वज जी ग्रह पर रहते होंगे वहा सूरज की तेज धुप पड़ती होंगी। जिससे बचाव के लिए सर पर लंबे बाल विकसित हो गए होंगे। और उसी ग्रह से ये विशेषता हमारे साथ धरतीपर चली आई होंगी। मेरा तो यह मानना है की ये पुख्ता सबूत है इस बात का की इंसानो के विकास में एलियंस का हस्तक्षेप रहा था।

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